
पुलिस में सिपाही की नौकरी यूपी के दरोगा से बेहतर: छुट्टियों की कमी, अत्यधिक काम और तनाव से जूझते यूपी पुलिसकर्मी
लखनऊ 12 नवंबर। उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत पुलिसकर्मियों के लिए छुट्टियों की कमी और अत्यधिक कार्यभार से जूझना एक आम समस्या बन गई है। हाल ही में एक यूपी पुलिस के दरोगा, अजित सिंह का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि “दिल्ली पुलिस में सिपाही की नौकरी यूपी के दरोगा से बेहतर है।” उनका यह बयान पुलिस बल में कार्य स्थितियों, तनाव के स्तर, और जीवनशैली की समस्याओं को उजागर करता है।
अजित सिंह ने खुलासा किया कि उत्तर प्रदेश पुलिस में काम का दबाव इतना अधिक है कि उन्हें अपने निजी जीवन के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है। दिल्ली पुलिस में पहले भी काम कर चुके अजित सिंह के मुताबिक, दिल्ली में सिपाही के रूप में कार्य करना, यूपी में दरोगा होने से कहीं बेहतर था। उन्होंने दिल्ली पुलिस में सुविधाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां छुट्टियों की उचित व्यवस्था है, काम के घंटे तय हैं, और कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उचित समर्थन मिलता है।
छुट्टियों की कमी और अत्यधिक कार्य दबाव
यूपी पुलिस में छुट्टियों की कमी एक गंभीर समस्या है। पुलिसकर्मी अपने परिवार के साथ समय नहीं बिता पाते, जिससे उनके निजी जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अजित सिंह ने बताया, “यहाँ (यूपी पुलिस में) काम का इतना दबाव है कि छुट्टी मांगने पर भी नहीं मिलती। जीवन मशीन की तरह हो गया है, 24 घंटे काम के कारण तनाव बढ़ता है और नींद पूरी करना भी एक चुनौती बन गया है।”
यूपी पुलिस में काम के घंटे तय नहीं होते, और पुलिसकर्मियों को लंबी ड्यूटी करनी पड़ती है। किसी भी दिन छुट्टी मिलने की गारंटी नहीं होती, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। अजित सिंह का कहना है कि जब उन्होंने दिल्ली पुलिस में काम किया था, तो उन्हें समय पर छुट्टियाँ मिल जाती थीं, जिससे वे तरोताजा होकर अपने काम में लगते थे।
दिल्ली पुलिस में कार्य स्थितियाँ और सुविधाएँ
दिल्ली पुलिस में सिपाही के रूप में काम कर चुके अजित सिंह ने बताया कि वहाँ की कार्य स्थितियाँ यूपी पुलिस से कहीं बेहतर हैं। दिल्ली पुलिस में काम के घंटों का प्रबंधन अच्छी तरह से किया जाता है। पुलिसकर्मियों को उनके काम के अनुसार छुट्टियाँ और आराम का मौका मिलता है। इसका नतीजा यह होता है कि वे मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं और कार्य में पूरी तरह से समर्पित होते हैं।
दिल्ली पुलिस में कर्मचारियों को तनाव प्रबंधन और परामर्श सेवाओं का भी प्रावधान है। अजित सिंह ने कहा कि दिल्ली में उन्हें तनाव से निपटने के लिए समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ मिलती थीं। उन्होंने यूपी पुलिस में भी इस तरह की सुविधाओं की माँग की है, ताकि पुलिसकर्मी तनाव मुक्त होकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर सकें।
वेतनमान और आर्थिक स्थिति में अंतर
उत्तर प्रदेश पुलिस और दिल्ली पुलिस के बीच वेतनमान में भी बड़ा अंतर है। अजित सिंह के अनुसार, दिल्ली पुलिस में सिपाही का वेतन यूपी पुलिस के दरोगा से अधिक है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर होती है। दिल्ली पुलिस को केंद्र सरकार के अधीन होने के कारण अतिरिक्त भत्ते और सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, जैसे आवास, चिकित्सा भत्ता, और अन्य आर्थिक लाभ।
उत्तर प्रदेश पुलिस में कर्मचारियों को इन सुविधाओं की कमी महसूस होती है। वेतन में असमानता के कारण यूपी पुलिस के कई पुलिसकर्मी वित्तीय असुरक्षा का अनुभव करते हैं, जो उनके कार्य संतोष और समर्पण को भी प्रभावित करता है।
यूपी पुलिस में सुधार की आवश्यकता
अजित सिंह का बयान उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली और सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है। उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए कार्य के घंटे निर्धारित करना, छुट्टियों का प्रावधान, और तनाव प्रबंधन के उपाय अपनाना जरूरी है, ताकि पुलिसकर्मी तनाव मुक्त होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
संभावित सुधार के सुझाव:
1. काम के घंटे तय करना: यूपी पुलिस में काम के घंटे निर्धारित करने से पुलिसकर्मी अधिक संतुलित जीवन जी सकेंगे और मानसिक तनाव में कमी आएगी।
2. छुट्टियों का प्रावधान: पुलिसकर्मियों को समय-समय पर छुट्टी मिलनी चाहिए, ताकि वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकें और मानसिक थकान को कम कर सकें।
3. वेतन और भत्तों में सुधार: यूपी पुलिस के पुलिसकर्मियों का वेतन दिल्ली पुलिस के बराबर किया जाना चाहिए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो और वे वित्तीय असुरक्षा से मुक्त रह सकें।
4. मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन सेवाएँ: पुलिसकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है। इसके लिए यूपी पुलिस में परामर्श और तनाव प्रबंधन सेवाओं का प्रावधान किया जाना चाहिए।
प्रभात भारत विशेष
अजित सिंह का यह बयान कि “दिल्ली पुलिस में सिपाही की नौकरी यूपी के दरोगा से बेहतर है” एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। उत्तर प्रदेश पुलिस में पुलिसकर्मियों के काम की स्थिति, छुट्टियों की कमी, अत्यधिक कार्य दबाव और तनाव से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों का अभाव उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है। वहीं, दिल्ली पुलिस में काम का संतुलन, छुट्टियों की उचित व्यवस्था, और तनाव प्रबंधन के उपाय उनके कर्मियों को अधिक संतोषजनक और स्वस्थ जीवन जीने का मौका देते हैं।
यह समय है कि यूपी पुलिस प्रशासन इन समस्याओं का समाधान करे, ताकि पुलिसकर्मी बिना किसी तनाव और दबाव के अपने कर्तव्यों का निष्पक्षता से पालन कर सकें। उत्तर प्रदेश पुलिस में सुधार के उपायों को अपनाकर, पुलिस बल को अधिक प्रभावी और जनता की सेवा में तत्पर बनाया जा सकता है।