
सोने की कीमतों का असर और त्योहारी मांग में संभावित गिरावट
नई दिल्ली 29 अक्टूबर श। हर साल, धनतेरस और दिवाली के शुभ अवसर पर सोने और चांदी की खरीदारी भारतीय बाजारों में धूम मचाती है। लोग इसे न केवल शुभ मानते हैं बल्कि यह भी मानते हैं कि यह समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। परन्तु इस वर्ष सोने की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि ने इस पारंपरिक उत्साह को फीका कर दिया है। दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, हैदराबाद के बाजारों से लेकर देश के अन्य प्रमुख शहरों तक, ज्वैलर्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस बार महंगे सोने की वजह से खरीदारों का रुझान कम हो सकता है।
इस वर्ष, सोने की कीमतों में 25-30% की भारी वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष के मुकाबले कीमतों में यह उछाल, कई खरीदारों को सोचने पर मजबूर कर सकता है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद के निदेशक अविनाश गुप्ता का मानना है कि इस वर्ष धनतेरस पर सोने के आभूषणों की मांग में गिरावट आएगी। इस गिरावट के मुख्य कारण हैं सोने की ऊँची कीमतें और बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता।
बाजार की वर्तमान स्थिति और सोने की कीमतें: कहां पहुंची हैं ऊँचाइयाँ?
23 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने ने 2,759 डॉलर प्रति औंस का सर्वकालिक उच्च स्तर छुआ था। इसके बाद, यह 2,700 डॉलर के आसपास ही बना हुआ है। भारतीय बाजारों में मुंबई के हाजिर बाजारों में सोने की कीमत 79,500 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है। पिछले धनतेरस पर इसकी कीमत लगभग 62,000 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो इस वर्ष की तुलना में काफी कम थी।
इस मूल्यवृद्धि का मुख्य कारण है वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक और राजनीतिक तनाव। अमेरिका और यूरोप में बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों के चलते निवेशकों का रुझान सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर बढ़ा है। इसके अलावा, रुपये की कमजोरी भी भारतीय बाजारों में सोने की कीमतों को बढ़ावा दे रही है।
ज्वैलर्स की चिंताएं और धनतेरस पर संभावित बिक्री में गिरावट
आभूषण विक्रेताओं के लिए यह समय हर साल सबसे अधिक बिक्री का होता है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष स्थिति बिलकुल अलग है। अविनाश गुप्ता का मानना है कि सोने की ऊंची कीमतों की वजह से त्योहारी सीजन में खरीदारों की संख्या में कमी देखने को मिल सकती है। हर साल धनतेरस के शुभ दिन पर सोना खरीदना एक परंपरा रही है, लेकिन इस बार लोगों की प्राथमिकताएं बदल रही हैं।
गुप्ता के अनुसार, इस बार कम टिकट साइज वाले सोने के आभूषणों की मांग अधिक है। इसमें छोटे-छोटे गहनों जैसे झुमके, अंगूठियां, कंगन आदि शामिल हैं, जिनकी कीमत 1 लाख रुपये से कम होती है। इसकी वजह है कि अधिकांश खरीदार अपनी खरीदारी को सीमित करना चाहते हैं। सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के खरीदारों का रुझान अन्य विकल्पों की ओर जा सकता है।
धनतेरस और दिवाली पर सोने की बिक्री में 20% तक गिरावट की संभावना
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद का अनुमान है कि इस धनतेरस और दिवाली पर सोने की बिक्री में कम से कम 20% की गिरावट हो सकती है। ज्वैलर्स का कहना है कि इस बार लोग सोने के आभूषणों की बजाय टोकन खरीदारी कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि लोग एक छोटे प्रतीकात्मक मात्रा में सोना खरीद सकते हैं ताकि परंपरा निभाई जा सके।
भारत में धनतेरस पर सोने की खरीद को शुभ माना जाता है, लेकिन ऊंची कीमतें लोगों को इस साल कम खर्च करने पर मजबूर कर रही हैं। इस स्थिति में, उपभोक्ताओं का ध्यान छोटे-छोटे गहनों और कम वजन वाले गहनों की ओर जा रहा है।
सोने की ऊंची कीमतों से निपटने के लिए ज्वैलर्स की रणनीतियां
ज्वैलर्स को इस बार अधिक खरीदारों को आकर्षित करने के लिए नई योजनाओं की आवश्यकता है। उन्होंने त्योहारी सीजन में ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई ऑफर्स शुरू किए हैं, जैसे छूट, जीरो प्रतिशत ईएमआई योजना, और विशेष डिजाइन के छोटे आभूषण।
कुछ ज्वैलर्स ने अपने ग्राहकों को खरीदारी के लिए प्रेरित करने के लिए विशेष योजनाओं का आयोजन किया है। कुछ ने फेस्टिव कलेक्शन लॉन्च किया है, जिसमें छोटे, किफायती और आकर्षक डिजाइनों को शामिल किया गया है। इन छोटे गहनों की कीमत कम है और इन्हें सामान्य ग्राहक आसानी से खरीद सकते हैं।
इसके अलावा, कई ज्वैलर्स ने अपने ग्राहकों के लिए गोल्ड सेविंग स्कीम शुरू की हैं, जिनमें ग्राहक छोटे-छोटे मासिक भुगतान कर सकते हैं और कुछ महीनों बाद सोने के गहने खरीद सकते हैं।
बाजार में अन्य विकल्पों का आकर्षण
इस साल, सोने की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी के कारण अन्य निवेश विकल्पों में भी रुचि बढ़ी है। रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड्स, और शेयर बाजार में लोग अधिक रुचि दिखा रहे हैं। इससे सोने के परंपरागत निवेश की चमक में थोड़ी कमी आई है।
इसके अलावा, युवा पीढ़ी अब डिजिटल गोल्ड में भी निवेश कर रही है। डिजिटल गोल्ड, जो ऑनलाइन प्लेटफार्म पर खरीदा जाता है, लोगों को कम मात्रा में सोना खरीदने का विकल्प देता है। इससे सोने में निवेश करना आसान हो गया है, और ग्राहक भौतिक सोना खरीदने की बजाय डिजिटल गोल्ड में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
ग्राहकों का नजरिया और भविष्य की उम्मीदें
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, कई ग्राहक अब अपने खर्च को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं। पारंपरिक खरीदार भी इस बार सोच-समझकर सोने की खरीदारी कर रहे हैं, और अपने बजट के हिसाब से ही सोना खरीद रहे हैं।
आने वाले महीनों में सोने की कीमतों में किसी भी संभावित गिरावट के लिए खरीदार इंतजार कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक अनिश्चितता और वैश्विक बाजार की स्थितियों के आधार पर सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
धनतेरस पर सोने की खरीदारी का भविष्य?
बढ़ती कीमतों ने इस धनतेरस पर सोने की पारंपरिक खरीदारी पर असर डाला है। ग्राहक अब समझदारी से अपने बजट के अनुसार सोने की खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि, भारतीय संस्कृति में सोने का महत्व अडिग है, और लोग कम मात्रा में ही सही, सोने की खरीदारी करना नहीं छोड़ेंगे।
इस साल की स्थिति ने ज्वैलर्स और ग्राहकों को यह संदेश दिया है कि बाजार में बदलाव के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक है। सोने की बढ़ती कीमतों के बीच ज्वैलर्स और ग्राहक दोनों ही इस चुनौती को स्वीकार करते हुए अपनी-अपनी रणनीतियां अपना रहे हैं।