हरियाणा की एक महिला सिपाही, जिसके कारण राजस्थान रोडवेज की बस और दोनों राज्यों की पुलिस और परिवहन विभाग के बीच हुआ अनोखा
“जब सिपाही को टिकट खरीदना पड़ा”
कहानी कुछ यूँ शुरू होती है कि हरियाणा की एक महिला सिपाही सीमा देवी, जो ड्यूटी के बाद छुट्टी पर घर जाने के लिए निकली थी, राजस्थान रोडवेज की बस में सवार होती हैं। बस की कंडक्टर, हर किसी की तरह, नियम के अनुसार टिकट की मांग करती है। लेकिन सीमा देवी तो हरियाणा पुलिस में हैं, और उनके ख्याल से पुलिसवालों के लिए टिकट का नियम लागू नहीं होता।
बस में बैठते ही सीमा देवी ने अपना परिचय देते हुए कहा, “मैं हरियाणा पुलिस में हूँ।” कंडक्टर थोड़ी देर के लिए चौंका, लेकिन राजस्थान का मिजाज रखते हुए हिम्मत जुटाई और बोला, “बहनजी, आप हरियाणा पुलिस में हो तो क्या हुआ, बस तो राजस्थान की है। सफर करना है, तो टिकट लेना पड़ेगा।”
अब सीमा देवी के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया। क्या वो सिर्फ 50 रुपए का टिकट लें और इस बात को वहीं खत्म करें, या फिर एक पुलिस अधिकारी होने के नाते अपने सम्मान का मामला बनाएँ? अंततः स्थिति ऐसी बनी कि आखिरकार उन्हें टिकट लेना ही पड़ा। लेकिन इसके बाद तो उनके अंदर का पुलिस अधिकारी जाग गया और उन्होंने ठान लिया कि यह अपमान ऐसे नहीं सहेंगी।
“हरियाणा पुलिस का जवाबी हमला”
सीमा देवी की बात उनके साथियों और उच्च अधिकारियों तक पहुंच गई। अब यह किसी एक सिपाही की बात नहीं रही, बल्कि पूरे हरियाणा पुलिस की प्रतिष्ठा का मामला बन गया। तुरंत बैठक बुलाई गई और हरियाणा के परिवहन विभाग के अफसरों के साथ एक रणनीति तय की गई – राजस्थान की हर बस का चालान काटा जाएगा जो हरियाणा में घुसेगी।
अब शुरू हुआ असली “कबड्डी का खेल”। जैसे ही राजस्थान की बसें हरियाणा के बॉर्डर में प्रवेश करतीं, वहाँ पुलिस और परिवहन अधिकारी उनका चालान काटने के लिए पहले से तैयार रहते। सुबह से शाम तक चालान काटे जाते और चालानों की संख्या 50 से पार हो गई। एक-एक चालान काटते समय हरियाणा के अधिकारी अपनी जीत की मुस्कान नहीं रोक पाते थे।
“राजस्थान पुलिस का पलटवार”
इधर राजस्थान के परिवहन और पुलिस विभाग में भी खलबली मच गई। किसी ने कहा, “अगर हरियाणा हमारे बसों के चालान काट रहा है, तो हम भी उनका हिसाब बराबर करेंगे।” जल्द ही राजस्थान के पुलिस अधिकारियों ने बैठक बुलाई और तय किया कि वे भी हरियाणा की बसों का चालान काटेंगे।
अब बारी थी राजस्थान की। जैसे ही हरियाणा की कोई बस राजस्थान के इलाके में घुसती, पुलिस तैयार खड़ी रहती। चालान पर चालान काटे गए, और ये संख्या 26 तक पहुँच गई।
“युद्ध की उग्रता”
धीरे-धीरे दोनों तरफ की पुलिस और परिवहन विभाग इस हास्यास्पद संघर्ष में पूरी तरह जुट गए थे। अधिकारी चालान की फाइलों को देख-देखकर एक दूसरे पर चुटकियाँ ले रहे थे। हरियाणा और राजस्थान के बस ड्राइवर तो परेशान हो चुके थे। जहाँ पहले दोनों राज्यों की बसें आराम से एक-दूसरे के इलाकों में चलती थीं, वहीं अब हर यात्रा एक युद्ध बन चुकी थी।
बस अड्डों पर भी माहौल गर्मा गया था। हरियाणा और राजस्थान के ड्राइवर एक-दूसरे के इलाकों में प्रवेश करने से पहले अपने साथियों से पूछते, “अरे भाई, कोई चालान तो नहीं कटवा दिया जाएगा?” हर जगह पुलिस की टीम तैयार बैठी रहती। यात्री भी इस तमाशे का हिस्सा बन चुके थे और बसों में सफर करते वक्त अपनी जान की बाजी लगाकर हँसी मजाक करते, “लगता है बस की टिकट से ज्यादा चालान का खर्चा हो गया!”
“दोनो राज्य सरकारों का हस्तक्षेप”
यह मामला इतना बढ़ गया कि हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमंत्री तक को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। दोनों राज्य सरकारें हैरान थीं कि आखिर किस वजह से पुलिस और परिवहन विभाग इतना नाराज हैं। जब मामले की पूरी कहानी सामने आई, तो मुख्यमंत्री भी हँसी रोक नहीं पाए।
अंततः एक समझौता हुआ कि पुलिस और परिवहन विभाग को केवल नियमों के अनुसार ही कार्रवाई करनी होगी। बिना वजह चालान काटने की होड़ पर रोक लगाई गई, और हरियाणा पुलिस ने सीमा देवी को भी समझाया कि अब आगे से बसों में सफर करते समय टिकट जरूर लें।
“सीख और हँसी का मजेदार अंत”
इस पूरे हास्य व्यंग्य ने यह समझाया कि कभी-कभी छोटी-छोटी घटनाएँ किस तरह बड़ी बन जाती हैं। दोनों राज्यों की पुलिस और परिवहन विभाग ने इस मसले से एक बड़ी सीख ली कि हर मुद्दे का समाधान बातचीत से संभव है और कभी-कभी हँसी-मजाक में ही कई समस्याएँ हल हो जाती हैं।
(यह हास्य व्यंग बीते दिनों हुई सत्य घटना से प्रेरित है)

