लखनऊ, 25 अक्टूबर ( विजय प्रताप पांडे)। दीपावली, भारत का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार, खुशियों, रौशनी और स्वादिष्ट मिठाइयों के बिना अधूरा है। हर घर में मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है, चाहे वह पूजा-पाठ का अवसर हो, या फिर मित्रों और रिश्तेदारों को उपहार स्वरूप मिठाई देना। इस समय मिठाइयों की भारी मांग होती है, जिससे दुकानदारों के लिए यह सबसे व्यस्त और लाभकारी समय होता है। लेकिन त्योहारों की इस चमक-धमक के पीछे एक कड़वी सच्चाई छिपी होती है—मिलावटी मिठाइयों का जाल, जिसे रोकने में खाद्य औषधि विभाग नाकाम होता दिखता है। यह न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि एक बड़े भ्रष्टाचार के खेल की ओर भी इशारा करता है, जिसमें खाद्य विभाग और मिठाई विक्रेताओं की मिलीभगत सवालों के घेरे में है।
दीपावली के बाजार में मिलावट का बोलबाला
हर साल दीपावली के मौके पर मिठाई की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि त्योहार के समय एक छोटी मिठाई की दुकान से भी कई कुंतल मिठाइयां बिक जाती हैं। चूंकि मिठाई बनाने और बेचने का यह धंधा बहुत बड़े पैमाने पर होता है, ऐसे में उनके गुणवत्ता की निगरानी करना एक बड़ी चुनौती बन जाता है। मिठाइयों में मिलावट और नकली सामग्री का इस्तेमाल न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक और कानूनी मुद्दा भी बन चुका है।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में बिकने वाली मिठाइयां सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाली हों। इसके लिए विभाग समय-समय पर मिठाइयों के सैंपल लेता है, उनका परीक्षण करता है, और मिठाई बेचने वालों पर नियमों का पालन करने का दबाव बनाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इन नियमों का पालन न करने के बावजूद कई दुकानदार बच जाते हैं, और मिलावटी मिठाइयों का धंधा फलता-फूलता रहता है।

विभाग और दुकानदारों की मिलीभगत
कई उपभोक्ताओं और स्थानीय लोगों का मानना है कि मिठाई की दुकानों और खाद्य निरीक्षकों के बीच एक गहरी दोस्ती और सांठ-गांठ होती है। इस वजह से मिठाई विक्रेताओं को हर प्रकार की आजादी मिल जाती है, चाहे वे गुणवत्ता से समझौता करें या नहीं। यह आरोप लगाया जाता है कि सैंपलिंग के दौरान मिठाइयों की जांच सही तरीके से नहीं की जाती, और नकली सैंपल भेजे जाते हैं ताकि मिलावटी मिठाई बेचने वाले दुकानदारों पर कोई कार्रवाई न हो सके। इस मिलीभगत के कारण विभाग भी आँखें मूँद लेता है, और जनता को बेख़बर रखा जाता है।
सबसे छोटा और बुनियादी नियम यह है कि हर मिठाई की दुकान पर बेची जा रही मिठाई के काउंटर पर उसकी उत्पादन तिथि और समाप्ति तिथि (एक्सपायरी डेट) का स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए। लेकिन बहुत ही दुख की बात है कि अधिकांश दुकानदार इस नियम का पालन नहीं करते। इसका सीधा परिणाम यह होता है कि एक्सपायरी मिठाइयां भी धड़ल्ले से बिकती हैं, और किसी को इसकी जानकारी नहीं होती। यह नियम यदि सख्ती से लागू किया जाए, तो शायद मिलावट को रोकना असंभव हो, लेकिन एक्सपायरी मिठाइयों को बेचना जरूर रोका जा सकता है। परंतु, जब विभाग के निरीक्षक ही दुकानदारों के साथ मिलकर काम करेंगे, तो उपभोक्ता किस पर भरोसा करेंगे?
दीपावली की मिठाइयों में मिलावट का खतरा
दीपावली के त्योहार पर मिठाइयों की बढ़ती मांग के कारण मिलावट का खतरा और भी बढ़ जाता है। कई मामलों में यह देखा गया है कि मिठाई विक्रेता दूध, खोया, घी और अन्य सामग्री में मिलावट करते हैं, ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सके। सस्ता मावा, नकली घी और सिंथेटिक दूध का उपयोग करके मिठाइयां तैयार की जाती हैं, जो स्वाद में तो अच्छी लगती हैं, लेकिन इनके सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली मिलावटों में सिंथेटिक दूध, सस्ते खाद्य रंग, और केमिकल युक्त पदार्थ शामिल होते हैं, जो लंबे समय तक शरीर में रहकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए ये मिलावटी मिठाइयां बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं। खाद्य औषधि विभाग की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मिलावटी उत्पादों को बाजार में आने से रोके, लेकिन सच्चाई यह है कि दीपावली के समय इस काम में बहुत ही कम ध्यान दिया जाता है।
विभाग की कार्रवाई पर सवाल
खाद्य औषधि विभाग के अधिकारी दावा करते हैं कि वे नियमित रूप से मिठाइयों की जांच और सैंपलिंग करते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। कई मामलों में यह देखा गया है कि दुकानदार विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ करके सैंपलिंग के समय मिलावटी मिठाइयों की जगह उच्च गुणवत्ता वाले सैंपल भेजते हैं, जिससे जांच में कोई गड़बड़ी नहीं निकलती। यह सब कुछ पैसों के खेल का हिस्सा है, जहां निरीक्षक और दुकानदार मिलकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं।
दूसरी ओर, सैंपलिंग के परिणाम आने में भी काफी समय लगता है। दीपावली के समय मिठाइयों की बिक्री इतनी तेजी से होती है कि जब तक सैंपलिंग के परिणाम आते हैं, तब तक बड़ी मात्रा में मिलावटी मिठाइयां बाजार में बिक चुकी होती हैं। इस प्रक्रिया की धीमी गति भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
मिलावट के खिलाफ कार्रवाई की सख्त जरूरत
दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर मिलावट का यह खेल लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। इसे रोकने के लिए खाद्य औषधि विभाग को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। सबसे पहले, मिठाई की दुकानों पर मिठाइयों की उत्पादन और समाप्ति तिथि का उल्लेख सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, सैंपलिंग प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाना भी जरूरी है, ताकि मिलावटी उत्पादों को तुरंत पहचाना जा सके और बाजार से हटाया जा सके।
विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि सैंपलिंग की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की हेराफेरी न हो, और जो भी दुकानदार मिलावट के दोषी पाए जाएं, उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही, उपभोक्ताओं को भी जागरूक किया जाना चाहिए कि वे मिठाइयों की गुणवत्ता और उनकी तिथि की जांच करें, और यदि उन्हें कोई गड़बड़ी महसूस हो, तो उसकी शिकायत विभाग में करें।
उपभोक्ताओं की जागरूकता की भूमिका
मिलावट के खिलाफ लड़ाई में उपभोक्ताओं की जागरूकता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यदि उपभोक्ता मिठाइयों की खरीदारी के समय सतर्क रहेंगे, और मिठाइयों की गुणवत्ता की जांच करेंगे, तो मिलावट करने वाले दुकानदारों पर दबाव बढ़ेगा। इसके लिए उपभोक्ताओं को मिठाइयों की खरीदारी करते समय उनकी ताजगी, रंग, और स्वाद पर ध्यान देना चाहिए। यदि कोई मिठाई सामान्य से अधिक रंगीन या चमकदार लगती है, तो यह संभव है कि उसमें केमिकल्स या नकली पदार्थ मिलाए गए हों।
इसके अलावा, उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मिठाई की पैकेजिंग पर उत्पादन और समाप्ति तिथि का स्पष्ट रूप से उल्लेख हो। यदि किसी दुकान पर ऐसा नहीं किया गया है, तो यह उपभोक्ताओं का अधिकार है कि वे इसकी शिकायत करें। शिकायत करने के लिए स्थानीय खाद्य विभाग से संपर्क किया जा सकता है, या ऑनलाइन शिकायत पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
प्रभात भारत विशेष
दीपावली के पावन अवसर पर मिठाइयों की खरीदारी एक परंपरा है, लेकिन इस परंपरा के साथ मिलावट का काला धंधा भी जुड़ चुका है। खाद्य औषधि विभाग और मिठाई विक्रेताओं के बीच की मिलीभगत के कारण जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब विभाग अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाए, और उपभोक्ता जागरूक होकर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें। आखिरकार, दीपावली का त्यौहार खुशियों और स्वास्थ्य से जुड़ा है, और यह सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है कि हमारी खुशियों में मिलावट न हो।

