
गोण्डा 24 अक्टूबर। कहला तेन्दुआ गाँव के निवासी महेश कुमार मिश्रा के बेटे, शक्ति मिश्रा की जान पर उस समय खतरा मंडराने लगा जब उसे एक गलत मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर इलाज किया गया। यह लापरवाही गोण्डा के एक प्रतिष्ठित मेडिकल सेंटर, होप स्कैनिंग सेंटर की ओर से की गई, जहां से उसे किसी और व्यक्ति की रिपोर्ट दी गई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया, जिससे बच्चे की हालत और गंभीर हो गई। मामला तब और उलझ गया जब रिपोर्ट में दिखाए गए मरीज की उम्र और बीमारी भी शक्ति मिश्रा से मेल नहीं खाती थी। इस घटना ने न केवल परिवार को आर्थिक रूप से तोड़ दिया, बल्कि बच्चे की जान पर भी बन आई।
प्रारंभिक लक्षण और गलत इलाज की शुरुआत
शक्ति मिश्रा की तबीयत 9 फरवरी 2024 को अचानक खराब हो गई। उसे पेट में असहनीय दर्द हो रहा था। महेश कुमार मिश्रा अपने बेटे को लेकर गोण्डा के एससीपीएम हॉस्पिटल गए, जहां डॉक्टर ओएन पांडेय ने प्रारंभिक जांच के बाद दवा दी और उसे घर भेज दिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद, 12 फरवरी को फिर से शक्ति को भयंकर दर्द होने लगा। इस बार डॉक्टर क्षितिज शरण, जो गैस्ट्रोलॉजी के विशेषज्ञ हैं, ने उन्हें एमआरसीपी (Magnetic Resonance Cholangiopancreatography) की रिपोर्ट लाने का निर्देश दिया।
परिवार होप स्कैनिंग सेंटर गया, जहां शक्ति की जांच कराई गई। अगले दिन, 13 फरवरी को, रिपोर्ट मिलने के बाद डॉक्टर क्षितिज शरण ने रिपोर्ट देखकर कहा कि शक्ति मिश्रा को पैंक्रियाज (अग्न्याशय) की गंभीर समस्या है। उन्होंने बताया कि उसके पैंक्रियाज की नली में रुकावट है, जिसके कारण दवा लंबी अवधि तक चलानी पड़ेगी। डॉक्टर की सलाह पर शक्ति को 15 फरवरी को डिस्चार्ज कर दिया गया और उसे दवा जारी रखने के लिए कहा गया।
दूसरी राय और हालात का बिगड़ना
हालांकि, शक्ति को कोई विशेष आराम नहीं मिला। 18 फरवरी की रात को, दर्द फिर से बढ़ गया। परिवार उसे बहराइच के माही ग्लोबल हॉस्पिटल ले गया, जहां डॉक्टर मोहम्मद आवेश ने इलाज किया। थोड़े समय के लिए स्थिति में सुधार हुआ, लेकिन 25 फरवरी को फिर से शक्ति की हालत गंभीर हो गई। इस बार परिवार उसे गोण्डा और बहराइच के अस्पतालों में इलाज कराने की बजाय लखनऊ के चौधरी गैस्ट्रो सेंटर में डॉक्टर ए.के. चौधरी को दिखाने ले गया।
लखनऊ में डॉक्टरों को होप स्कैनिंग सेंटर की रिपोर्ट दिखाई गई, और उसी के आधार पर इलाज शुरू हुआ। लेकिन रिपोर्ट की गलतियों के कारण बच्चे को राहत नहीं मिली। इसके बाद, डॉक्टर सुधाकर पांडेय के यहां दिखाया गया, जिन्होंने 4 मार्च तक दवा दी, लेकिन तब तक भी शक्ति को कोई खास फायदा नहीं हुआ। इसी दौरान डॉक्टरों ने दूसरी बार भी गलत रिपोर्ट पर इलाज किया और बच्चा लगातार दर्द से जूझता रहा।
असलियत का खुलासा: गलत रिपोर्ट का पता चलना
स्थिति तब और खराब हो गई जब 12 मार्च 2024 को शक्ति मिश्रा को देवी शिव हॉस्पिटल में डॉक्टर संजय श्रीवास्तव को दिखाया गया। डॉक्टर संजय श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें डॉक्टर देवनन्दन चौधरी से सलाह लेनी चाहिए। इस बार पीजीआई लखनऊ के डॉक्टर रजनीश सिंह ने रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ा और कहा कि यह रिपोर्ट शक्ति मिश्रा की नहीं बल्कि राममिलन गोस्वामी नामक 62 वर्षीय व्यक्ति की है। रिपोर्ट में मरीज की उम्र, बीमारी, और अन्य जानकारी पूरी तरह से शक्ति मिश्रा से मेल नहीं खाती थी।
डॉक्टर रजनीश सिंह ने रिपोर्ट के आधार पर परिवार को सचेत किया कि अब तक जो भी इलाज हुआ है, वह गलत रिपोर्ट पर आधारित था और शक्ति की तबीयत खराब होती जा रही थी। उन्होंने परिवार से कहा कि असली रिपोर्ट के आधार पर सही इलाज शुरू किया जाए। इस खुलासे ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया। इतने समय से शक्ति की तबीयत खराब होती जा रही थी, और यह सब एक गलत रिपोर्ट के कारण हो रहा था।
होप स्कैनिंग सेंटर की लापरवाही
महेश कुमार मिश्रा ने जब इस गंभीर लापरवाही की शिकायत होप स्कैनिंग सेंटर से की, तो उन्होंने पहले तो टाल-मटोल किया। बाद में 2 मार्च 2024 को सेंटर ने एक नई रिपोर्ट दी, लेकिन वह भी गलत थी और राममिलन गोस्वामी की ही थी। सेंटर ने किसी भी तरह की गलती मानने से इंकार कर दिया और मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की।
महेश कुमार ने बताया कि उन्होंने 15 लाख रुपये से ज्यादा सिर्फ गलत दवाइयों पर खर्च किए और उनका बेटा अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया है। सेंटर की गलती के कारण शक्ति की जान पर गंभीर खतरा मंडरा रहा था। इस तरह की लापरवाही एक जीवन के साथ खिलवाड़ करने के समान है।
चिकित्सा जगत में ऐसी लापरवाहियों की व्यापकता
यह घटना केवल एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि ऐसी लापरवाहियों की कई घटनाएं सामने आती रहती हैं। मेडिकल सेंटर और डॉक्टरों की जिम्मेदारी होती है कि वे मरीजों को सही रिपोर्ट और इलाज उपलब्ध कराएं। लेकिन कई बार जांच सेंटर और डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। इस मामले में, होप स्कैनिंग सेंटर की ओर से की गई लापरवाही ने परिवार को मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से तोड़ दिया है।
मेडिकल जांच रिपोर्ट में गलती, और फिर डॉक्टरों द्वारा बिना सही जांच के इलाज शुरू करना, यह सब एक बड़े प्रश्नचिह्न को जन्म देता है कि क्या हमारा चिकित्सा जगत इतनी बड़ी लापरवाही बर्दाश्त कर सकता है? अगर इस मामले में सही समय पर सच्चाई सामने नहीं आती, तो शक्ति की जान भी जा सकती थी।
कानूनी कार्यवाही और प्रशासन की भूमिका
महेश कुमार मिश्रा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय पुलिस और प्रशासन के समक्ष शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कोतवाली नगर, गोण्डा थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी पत्र लिखकर इस लापरवाही की शिकायत की, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। फिर महेश कुमार ने न्यायालय की शरण ली और अब न्यायालय के आदेश पर नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर ली गई है उनका कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए और होप स्कैनिंग सेंटर की इस घोर लापरवाही के लिए कड़ी सजा होनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने इस तरह के मेडिकल सेंटरों की जांच और उन पर सख्त कार्यवाही की मांग की है ताकि भविष्य में किसी और मरीज की जान खतरे में न पड़े।
प्रभात भारत विशेष
होप स्कैनिंग सेंटर की गलत रिपोर्ट और डॉक्टरों की लापरवाही से एक मासूम बच्चे की जान खतरे में पड़ गई। यह घटना हमारे चिकित्सा तंत्र में फैली लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी को उजागर करती है। अगर सही समय पर मामले की जांच नहीं होती, तो शक्ति मिश्रा की जान जा सकती थी। इस घटना ने न केवल परिवार को आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित किया है, बल्कि हमारे चिकित्सा तंत्र की गंभीर खामियों को भी उजागर किया है।