नई दिल्ली, 23 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हाल ही में कज़ान में हुई द्विपक्षीय वार्ता ने दोनों देशों के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की है। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे समय से तनाव चल रहा था, विशेष रूप से 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद। इस वार्ता ने वैश्विक स्तर पर दोनों देशों के संबंधों को सकारात्मक दिशा में ले जाने के संकेत दिए हैं और साथ ही सीमा विवादों को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत में सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और इसे दोनों देशों के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता बताया।
वार्ता का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है, खासकर 1962 के युद्ध के बाद। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति हमेशा तनावपूर्ण रही है, लेकिन 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद इस तनाव ने गंभीर रूप ले लिया। इस झड़प में दोनों पक्षों के सैनिकों की जानें गईं, जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक बिगाड़ दिया। इसके बाद, भारत और चीन के बीच कई सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हुईं, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका।
गलवान की घटना के बाद, दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए, लेकिन स्थिति फिर भी संवेदनशील बनी रही। 2022 में इंडोनेशिया के बाली में और 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की अनौपचारिक मुलाकातें हुईं, लेकिन कोई ठोस वार्ता नहीं हो पाई। कज़ान में हुई यह बैठक इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है कि यह दोनों नेताओं के बीच पांच साल में पहली औपचारिक बातचीत थी।

सीमा पर शांति और स्थिरता की प्राथमिकता
प्रधानमंत्री मोदी ने वार्ता के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना न केवल भारत और चीन के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को बनाए रखना आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी भी तरह के संघर्ष से बचा जा सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीमा पर पिछले चार वर्षों में उत्पन्न हुए मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत और संवाद ही एकमात्र रास्ता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारी प्राथमिकता सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना है। यह न केवल हमारे नागरिकों के लिए बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है। हम सीमा पर हुए समझौतों का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।”
शी जिनपिंग की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी के इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन को अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को समझें और उनका समर्थन करें। शी जिनपिंग ने यह भी कहा कि भारत और चीन को बहु-ध्रुवीयता और अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
शी जिनपिंग ने कहा, “दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे संवाद और सहयोग के जरिए अपने मतभेदों को हल करें। हम अपने विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।”
एलएसी पर गश्त व्यवस्था का समझौता
द्विपक्षीय वार्ता से कुछ ही दिन पहले, भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त व्यवस्था के संबंध में एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता पिछले कई हफ्तों से चल रही कूटनीतिक और सैन्य चर्चाओं का परिणाम था, जिसका उद्देश्य सीमा पर शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना था। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने सीमा क्षेत्र में नियमित गश्त फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की, जो 2020 के गलवान घटना के बाद बंद हो गई थी।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव को कम करने और गश्त को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विदेश सचिव ने कहा कि यह समझौता सीमा पर स्थिति को स्थिर करने और भविष्य में किसी भी तरह के सैन्य टकराव से बचने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने इस द्विपक्षीय वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंधों का भविष्य आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को बातचीत और संवाद के माध्यम से सुलझाना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी तरह के संघर्ष से बचा जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग से कहा, “हमारा मानना है कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।”
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत-चीन संबंध
भारत और चीन दुनिया की सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। दोनों देशों का न केवल एशिया में बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसे में दोनों देशों के बीच संबंधों का वैश्विक शांति और स्थिरता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई यह वार्ता न केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी इसका महत्व है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक लंबे समय से चल रहा मुद्दा रहा है, लेकिन दोनों देशों ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि इन विवादों को बातचीत और संवाद के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई इस वार्ता से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश अब भी शांति और स्थिरता को प्राथमिकता दे रहे हैं और सीमा विवादों को सुलझाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपना रहे हैं।
2020 से पहले और बाद के संबंध
2020 में गलवान घाटी में हुए सैन्य संघर्ष ने भारत और चीन के बीच के संबंधों को गहरा नुकसान पहुंचाया था। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी उत्पन्न हो गई थी और सीमा पर तनाव बढ़ गया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों ने कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ताएं कीं, जिनका उद्देश्य स्थिति को सामान्य बनाना और तनाव को कम करना था।
कज़ान में हुई यह बैठक इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है कि यह दोनों नेताओं के बीच पांच साल में पहली बार औपचारिक वार्ता थी, जिसमें सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों पर गहन चर्चा की गई।
संवाद और सहयोग की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन को अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए। दोनों नेताओं ने कहा कि संवाद के जरिए ही दोनों देशों के बीच के विवादों को सुलझाया जा सकता है और भविष्य में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कज़ान में हुई इस द्विपक्षीय वार्ता ने भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव के संकेत दिए हैं। सीमा विवादों को सुलझाने और संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में यह वार्ता एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने को अपनी प्राथमिकता बताया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों पक्ष भविष्य में अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत और सहयोग के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे।

