
साक्षी मलिक और बबीता फोगट के बीच तनाव बढ़ा, विवादों के घेरे में आई पहलवानों की राजनीति, पूर्व सांसद बृजभूषण के चुप रहने से मिल रही राहत
नई दिल्ली 23 अक्टूबर। भारत के खेल जगत में एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जब ओलंपियन साक्षी मलिक ने पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता और कुश्ती चैंपियन बबीता फोगट पर गंभीर आरोप लगाए। साक्षी ने कहा कि बबीता ने विरोध को अपने निजी एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया और वह खुद को भारतीय कुश्ती संघ (WFI) की अध्यक्ष बनाना चाहती थीं। यह आरोप साक्षी मलिक की हाल ही में रिलीज हुई आत्मकथा विटनेस के संदर्भ में सामने आया है, जिसमें उन्होंने कई विवादास्पद बातें कही हैं।
इस आरोप के जवाब में बबीता फोगट ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि साक्षी मलिक ने किताब बेचने के लिए अपनी ईमानदारी बेच दी है। यह बयान दोनों के बीच पहले से चले आ रहे विवाद को और अधिक गहरा करता है, जिसमें बबीता के परिवार के सदस्यों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी।
साक्षी मलिक के आरोप: बबीता पर एजेंडा चलाने का आरोप
विरोध प्रदर्शन के दौरान साक्षी मलिक ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि बबीता फोगट ने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने के उद्देश्य से विरोध का समर्थन किया। मलिक ने खुलासा किया कि बबीता ने पहले पहलवानों से संपर्क किया और उन्हें बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन इसका उद्देश्य केवल उनका अपना राजनीतिक फायदा था।
साक्षी ने अपनी आत्मकथा में इस घटनाक्रम का जिक्र करते हुए लिखा, “बबीता फोगट ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद की लालसा में यह कदम उठाया था। उनका एजेंडा विरोध प्रदर्शन का समर्थन करना नहीं बल्कि खुद को WFI की अध्यक्षता के लिए तैयार करना था।” साक्षी का यह बयान कई हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, खासकर खेल और राजनीति से जुड़े लोगों के बीच।
बबीता फोगट की प्रतिक्रिया: “किताब बेचने के चक्कर में ईमान बेच दी”
साक्षी मलिक के इस आरोप पर बबीता फोगट ने ट्विटर पर कड़ा जवाब दिया। उन्होंने सीधे तौर पर साक्षी पर निशाना साधते हुए कहा, “किताब बेचने के चक्कर में ईमान बेच दिया गया है।” बबीता ने यह भी लिखा कि “अपने किरदार से चमको, उधार की रोशनी कब तक टिकेगी?” यह प्रतिक्रिया न केवल साक्षी के आरोपों का खंडन करती है, बल्कि उनके चरित्र पर भी सवाल उठाती है।
बबीता ने यह भी कहा, “किसी को विधानसभा की सीटें मिलीं, किसी को पद मिले बहन, तुम्हें कुछ नहीं मिला, मैं तुम्हारा दर्द समझ सकता हूं।” उनका यह बयान साक्षी के करियर और उनके संघर्षों की ओर इशारा करता है, लेकिन साथ ही साथ यह भी दिखाता है कि दोनों के बीच दरार कितनी गहरी हो गई है।
महावीर फोगट का बयान: “साक्षी कांग्रेस की भाषा बोल रही है”
इस विवाद में बबीता के पिता और प्रसिद्ध कुश्ती कोच महावीर फोगट भी कूद पड़े। महावीर फोगट ने साक्षी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि साक्षी मलिक अब कांग्रेस की भाषा बोल रही हैं। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि साक्षी के आरोपों के पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं।
महावीर फोगट ने कहा, “बबीता ने हमेशा खिलाड़ियों के समझौतों की वकालत की है और उसने भी विरोध का समर्थन किया था।” उन्होंने दावा किया कि साक्षी का यह बयान कांग्रेस नेताओं प्रियंका गांधी और दीपेंद्र हुड्डा के कहने पर दिया गया है। महावीर ने यह भी आरोप लगाया कि साक्षी कांग्रेस के इशारे पर भाजपा और उसके नेताओं को बदनाम करने का प्रयास कर रही हैं।
विनेश फोगट का जवाब: “हर कहानी के तीन पहलू होते हैं”
इस बीच, साक्षी मलिक के बयान के बाद विनेश फोगट ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साक्षी का नाम लिए बिना कहा, “हर कहानी के तीन पहलू होते हैं – आपकी, उनकी और सच्चाई की।” विनेश का यह बयान दोनों पहलवानों के बीच उभरते विवाद की ओर इशारा करता है, जिसमें कोई स्पष्ट रूप से गलत या सही नहीं दिख रहा है।
विनेश ने यह भी कहा कि अगर साथी एथलीटों के लिए खड़ा होना लालच है, तो वह इस लालच को सकारात्मक रूप में देखती हैं। उन्होंने कहा, “अगर यह लालच है जो हमें ओलंपिक में देश के लिए पदक लाने के लिए प्रेरित करता है, तो यह लालच हमारी आखिरी सांस तक हमारे साथ रहेगा।”
विनेश के इस बयान से साफ है कि वह साक्षी के आरोपों को सीधे तौर पर खारिज कर रही हैं, लेकिन साथ ही साथ वह इस विवाद को और अधिक गहराने से बचने का प्रयास भी कर रही हैं।
साक्षी का एशियाई खेलों के ट्रायल पर दावा
विवाद तब और गहरा गया जब साक्षी मलिक ने अपने संस्मरण में दावा किया कि विनेश फोगट और बजरंग पुनिया ने 2023 एशियाई खेलों के लिए ट्रायल से छूट ली थी। साक्षी का कहना था कि यह छूट पहलवानों के आंदोलन को कमजोर कर सकती है, और इससे बृज भूषण के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को धक्का लगा।
यह आरोप खेल जगत में बड़ा मुद्दा बन गया, क्योंकि ट्रायल से छूट लेना और विरोध प्रदर्शन करना दोनों ही पहलवानों की नैतिकता और उनके खेल करियर के लिए महत्वपूर्ण बिंदु हैं। इस मुद्दे ने विवाद को और अधिक तीखा कर दिया और कई लोगों के मन में सवाल खड़े किए कि क्या विरोध प्रदर्शन सच में खिलाड़ियों के हित में था या इसके पीछे कोई अन्य मकसद था।
खेल और राजनीति का संगम
यह विवाद न केवल खेल के मैदान पर उभर रहा है बल्कि राजनीति में भी गहरी जड़ें जमा चुका है। साक्षी मलिक और बबीता फोगट दोनों ही भारतीय कुश्ती का अहम हिस्सा रही हैं, लेकिन अब राजनीति में उनके कदम बढ़ने से उनके बीच दरारें साफ नजर आ रही हैं।
साक्षी जहां एक ओलंपियन और महिला पहलवानों की आवाज के रूप में उभरी हैं, वहीं बबीता फोगट भाजपा की नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं। यह विवाद यह दिखाता है कि भारतीय खेल जगत में अब राजनीति का भी गहरा प्रभाव है और यह केवल खेल तक सीमित नहीं रह गया है।
आगे की राह
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का अंत कैसे होता है। क्या साक्षी मलिक और बबीता फोगट के बीच सुलह होगी, या फिर यह विवाद और गहरा जाएगा? क्या यह विवाद भारतीय कुश्ती को और अधिक नुकसान पहुंचाएगा, या फिर इसे एक नए सिरे से खड़ा करने में मदद करेगा?
इन सभी सवालों का जवाब आने वाले समय में मिल सकता है, लेकिन एक बात तो तय है कि इस विवाद ने भारतीय खेल और राजनीति में हलचल मचा दी है। साक्षी मलिक और बबीता फोगट दोनों ही भारत के महान पहलवान हैं, लेकिन अब यह विवाद उनकी छवि को कैसे प्रभावित करेगा, यह समय ही बताएगा।