
नई दिल्ली 22 अक्टूबर। 2024 में रूस के कज़ान शहर में आयोजित 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्थिरता, बहुपक्षीय सहयोग, और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। ऐसे समय में जब दुनिया विभिन्न मोर्चों पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है—जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-हमास संघर्ष, और जलवायु संकट—ब्रिक्स जैसे संगठन की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस शिखर सम्मेलन में भागीदारी से भारत की वैश्विक कूटनीति को नया आयाम मिल रहा है। भारत न केवल आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से एक उभरती हुई शक्ति है, बल्कि ब्रिक्स के भीतर उसकी भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि कैसे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 में पीएम मोदी की भूमिका महत्वपूर्ण है और भारत किस प्रकार वैश्विक सहयोग और स्थिरता के लिए अपनी नीतियों को आगे बढ़ा रहा है।
ब्रिक्स का उदय और भारत की भूमिका
ब्रिक्स का विकास: एक पृष्ठभूमि
ब्रिक्स का गठन 2006 में हुआ था और यह संगठन उन देशों का समूह है जो तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद से, ब्रिक्स का दायरा और महत्व और अधिक बढ़ गया है। ब्रिक्स का गठन ऐसे समय में हुआ जब दुनिया की पारंपरिक शक्तियों—जैसे अमेरिका और यूरोप—के आर्थिक प्रभुत्व के मुकाबले नए विकल्प उभर रहे थे।
भारत ने ब्रिक्स की स्थापना के बाद से ही इसमें सक्रिय भूमिका निभाई है। इसके सदस्य देशों में भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति लगातार मज़बूत होती जा रही है। ब्रिक्स का उद्देश्य न केवल वैश्विक विकास में साझेदारी को बढ़ावा देना है, बल्कि एक न्यायसंगत वैश्विक शासन प्रणाली की स्थापना करना है जो विकासशील देशों के हितों की रक्षा करे।
भारत की ब्रिक्स में भूमिका
भारत ब्रिक्स का एक प्रमुख सदस्य है, जो इस संगठन के उद्देश्यों के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। ब्रिक्स के मंच के जरिए भारत ने आर्थिक और राजनीतिक कूटनीति को सफलतापूर्वक बढ़ावा दिया है। वैश्विक स्तर पर भारत की उभरती स्थिति को देखते हुए, इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
भारत के दृष्टिकोण से ब्रिक्स का महत्व इस बात में निहित है कि यह संगठन पश्चिमी देशों के प्रभाव से स्वतंत्र एक वैकल्पिक मंच प्रदान करता है। भारत ने अपने विकास और आर्थिक सहयोग के लिए ब्रिक्स को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति और नेतृत्व ने भारत की भूमिका को और भी सशक्त किया है, और यह बात इस शिखर सम्मेलन में साफ़ दिखाई दे रही है।
16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: प्रमुख मुद्दे और चुनौतियां
बहुपक्षीय सहयोग और शांति की दिशा में कदम
2024 का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन वैश्विक अस्थिरता के एक जटिल परिदृश्य में हो रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, इज़राइल-हमास संघर्ष, और दुनिया भर में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव इस शिखर सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे हैं। ब्रिक्स सदस्य देश इन संकटों से निपटने के लिए एकजुट हो रहे हैं और बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता को समझ रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में शांति और संवाद की महत्ता पर जोर दिया। उनका कहना था कि सभी समस्याओं का समाधान केवल शांतिपूर्ण वार्ता और बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से ही हो सकता है। मोदी के इस दृष्टिकोण को ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों ने भी समर्थन दिया।
जलवायु परिवर्तन और सतत विकास
इस शिखर सम्मेलन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू जलवायु परिवर्तन है। भारत, जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है, इस बार भी सतत विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि “हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसमें प्रमुख रूप से स्वच्छ ऊर्जा, जल संरक्षण, और हरित तकनीकी नवाचार शामिल हैं। मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि जलवायु संकट का सामना करने के लिए विकासशील देशों को तकनीकी और वित्तीय सहयोग की आवश्यकता है, और ब्रिक्स इसे प्रदान करने में सक्षम है।
भारत-चीन संबंध: एक नया अध्याय?
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की बैठक
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित वार्ता को लेकर विश्व भर में उत्सुकता है। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव लंबे समय से जारी है, और यह बैठक दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकती है। हाल ही में भारत और चीन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त को फिर से शुरू करने का फैसला किया है, जो दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का संकेत है।
प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने पर जोर दे रहे हैं। उनका दृष्टिकोण यह है कि सीमा विवाद के बावजूद, भारत और चीन को आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
भारत-चीन आर्थिक सहयोग
भले ही भारत और चीन के बीच राजनीतिक तनाव बना हुआ है, लेकिन आर्थिक सहयोग का दायरा बढ़ता जा रहा है। चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और अधिक सशक्त करने के लिए इस शिखर सम्मेलन के दौरान कई द्विपक्षीय वार्ताएं होंगी। पीएम मोदी ने चीन के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है, जिसमें विशेष रूप से व्यापार संतुलन को ठीक करने और निवेश के नए अवसर पैदा करने पर जोर दिया गया है।
ब्रिक्स का विस्तार और पीएम मोदी का दृष्टिकोण
नए सदस्यों का समावेश
2023 में आयोजित जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स ने अपने विस्तार की घोषणा की, जिसमें मिस्र, इथियोपिया, सऊदी अरब, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया गया। इससे ब्रिक्स का स्वरूप और भी व्यापक हो गया है और यह एक वैश्विक संगठन के रूप में उभर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार का स्वागत किया और कहा कि “नए सदस्य हमारे संगठन को और भी मज़बूत बनाएंगे और वैश्विक शासन में सुधार की दिशा में एक नया आयाम जोड़ेंगे।” मोदी का दृष्टिकोण यह है कि ब्रिक्स के नए सदस्य वैश्विक दक्षिण के देशों की आवाज़ को और अधिक सशक्त बनाएंगे, और विकासशील देशों के हितों की रक्षा करेंगे।
बहुपक्षीय सहयोग की नई दिशा
ब्रिक्स का यह विस्तार बहुपक्षीय सहयोग के नए अवसर भी पैदा कर रहा है। पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिक्स को एक मंच के रूप में देखना चाहिए जो वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक शासन में सुधार की दिशा में काम करे। उन्होंने यह भी कहा कि “ब्रिक्स केवल एक आर्थिक संगठन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो शांति, सुरक्षा, और सतत विकास के लिए काम करता है।”
पीएम मोदी और ब्रिक्स का भविष्य
भारत की दीर्घकालिक रणनीति
प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिक्स में भूमिका केवल वर्तमान शिखर सम्मेलन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। भारत का लक्ष्य है कि वह ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक विकासशील देशों के साथ अपने संबंधों को और सशक्त करे और वैश्विक शासन में सुधार की दिशा में काम करे।
तकनीकी और डिजिटल समावेशन
पीएम मोदी ने डिजिटल समावेशन और तकनीकी नवाचार को ब्रिक्स की प्राथमिकताओं में शामिल किया है। भारत ने डिजिटल तकनीकी क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, और मोदी ने इसे ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच साझा करने का प्रस्ताव रखा है। उनका मानना है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के माध्यम से विकासशील देशों के बीच आर्थिक असमानता को कम किया जा सकता है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 वैश्विक राजनीति और आर्थिक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका इसमें अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मोदी ने ब्रिक्स को वैश्विक शांति, स्थिरता, और सतत विकास का एक प्रमुख मंच बनाने की दिशा में जो कदम उठाए हैं, वे भारत की वैश्विक भूमिका को और अधिक मज़बूत करेंगे।
भारत की दीर्घकालिक कूटनीति और आर्थिक रणनीति ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक विकासशील देशों के साथ साझेदारी को बढ़ाने पर केंद्रित है, और पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।