
गोंडा 22 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित ऐतिहासिक धरोहर बारादरी, जो कभी नवाबों के समय की भव्यता का प्रतीक हुआ करती थी, अब एक बार फिर से अपनी खोई हुई शान वापस पाने जा रही है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की पहल और प्रतिबद्धता के कारण इस ऐतिहासिक स्थल को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। इसके विकास के बाद बारादरी न केवल गोंडा बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शामिल हो सकती है।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की दूरदर्शिता
गोंडा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जिस तरह से जिले के धरोहरों को संजोने और उन्हें पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है, वह सराहनीय है। बारादरी का पुनर्निर्माण और पर्यटन केंद्र के रूप में इसका विकास उनकी इसी दृष्टि का हिस्सा है। यह स्थल, जो कभी नवाब आसुफद्दौला के समय में बनवाया गया था, अब एक आकर्षक पर्यटन स्थल में बदल जाएगा। नेहा शर्मा की इस पहल से स्थानीय विकास को भी बल मिलेगा और इससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
बारादरी का ऐतिहासिक महत्व
वजीरगंज की बारादरी का निर्माण 1775 से 1795 के बीच तत्कालीन अवध के नवाब आसुफद्दौला द्वारा कराया गया था। इस धरोहर का नाम जमशेदबाग रखा गया था, जो लगभग सौ एकड़ में फैला हुआ है। बारादरी की चहारदीवारी 20 फुट ऊंची और 4 फुट चौड़ी थी, जिसमें सुरक्षा के दृष्टिकोण से ऐसे मोढे़ बनाए गए थे, जिनसे सैनिक बाहरी क्षेत्रों पर नजर रख सकते थे। यह स्थल अभेद दुर्ग के रूप में विकसित किया गया था, जहां नवाब अपने परिवार के साथ छुट्टियां बिताने आते थे। यहाँ न्यायालय और प्रशासनिक भवन भी थे, और इसके चारों ओर घने पेड़ और फलदार वृक्ष लगे हुए थे।
बारादरी की यह ऐतिहासिक धरोहर समय के साथ जर्जर होती गई, लेकिन जिलाधिकारी नेहा शर्मा की संकल्पशीलता ने इस धरोहर को बचाने का काम किया है।
बारादरी का पर्यटन स्थल के रूप में विकास
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की योजना के तहत बारादरी को पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इसके तहत इस स्थान को न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इसे एक आधुनिक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा।
इसके लिए यहां पर कुछ प्रमुख चैन रेस्टोरेंट्स, आउटिंग स्पॉट्स और वॉटर स्पोर्ट्स की सुविधाएं शुरू की जाएंगी। कोडर झील, जो बारादरी के समीप स्थित है, को भी विकसित किया जाएगा। यहां बोटिंग के साथ-साथ वॉटर स्पोर्ट्स की विभिन्न गतिविधियों की शुरुआत होगी। इस स्थान को एक हॉलिडे डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की योजना है, जहां लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकें।
स्थानीय विकास में बारादरी की भूमिका
बारादरी का पर्यटन स्थल के रूप में विकास न केवल इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे गोंडा जिले की पहचान न केवल राज्य में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत होगी।
इसके अलावा, स्थानीय हस्तशिल्प और संस्कृति को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे पर्यटकों को इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। बारादरी के विकास के साथ-साथ यहां की लोक कलाएं, हस्तशिल्प, और स्थानीय उत्पादों को भी वैश्विक पहचान मिल सकेगी।
कोडर झील का विकास
बारादरी के साथ ही कोडर झील को भी विकसित करने की योजना बनाई गई है। यह झील बारादरी के पास स्थित है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं है। इस झील में बोटिंग और वॉटर स्पोर्ट्स जैसी गतिविधियों की शुरुआत की जाएगी। इससे पर्यटकों के लिए एक आकर्षक अनुभव का सृजन होगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
झील के चारों ओर विकसित होने वाली सुविधाओं में कैफेटेरिया, वॉटर स्पोर्ट्स इक्विपमेंट्स की रेंटल सर्विसेज, और प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष ट्रैकिंग सुविधाएं शामिल होंगी। इन सुविधाओं से न केवल पर्यटक आकर्षित होंगे, बल्कि यह क्षेत्र एक प्रमुख आउटडोर मनोरंजन स्थल के रूप में भी उभरेगा।
पीपीपी मॉडल पर विकास: निजी और सार्वजनिक भागीदारी
बारादरी और कोडर झील का विकास पीपीपी मॉडल के तहत किया जाएगा, जिससे इसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों की भागीदारी होगी। इससे विकास कार्यों में तेजी आएगी और सरकारी वित्तीय दबाव भी कम होगा।
पीपीपी मॉडल से पर्यटन केंद्र का विकास करने से न केवल आधुनिक सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध होंगी, बल्कि इससे निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का भी लाभ मिलेगा। इससे इस परियोजना के सफल होने की संभावनाएं अधिक होंगी और इसे राज्य और केंद्र सरकार से भी आर्थिक सहायता मिल सकेगी।
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास
इस विकास परियोजना में पर्यावरण संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। बारादरी और कोडर झील के आस-पास के क्षेत्र को प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाए रखने के लिए हरित उपायों को अपनाया जाएगा। स्थानीय पेड़-पौधों और वनस्पतियों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
सतत विकास के तहत, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पर्यटन स्थल का निर्माण और विकास पर्यावरण के अनुकूल हो। ऊर्जा संरक्षण, जल प्रबंधन, और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी प्रक्रियाओं को प्रमुखता दी जाएगी। इसके साथ ही, पर्यटकों के लिए शुद्ध और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी।
प्रशासनिक दृष्टिकोण से बारादरी का विकास
गोंडा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस परियोजना की सफलता के लिए प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी कई कदम उठाए हैं। इसमें बारादरी के विकास के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो इस परियोजना की निगरानी करेगी और सुनिश्चित करेगी कि विकास कार्य समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरे हों।
इसके अलावा, मुख्य विकास अधिकारी ने भी इस क्षेत्र का दौरा किया है और परियोजना के तहत उठाए जाने वाले कदमों की समीक्षा की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक स्तर पर भी इस परियोजना को पूरा समर्थन मिल रहा है, जिससे इसके सफलतापूर्वक क्रियान्वयन की उम्मीद बढ़ जाती है।
बारादरी का भविष्य: पर्यटकों के लिए स्वर्ग
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की यह पहल गोंडा और इसके आस-पास के क्षेत्रों को एक प्रमुख पर्यटन स्थल में बदलने के दृष्टिकोण से की गई है। जब यह परियोजना पूरी होगी, तो बारादरी एक ऐसा स्थल होगा जहां लोग न केवल इतिहास से रूबरू होंगे, बल्कि आधुनिक सुविधाओं का भी आनंद ले सकेंगे।
यह स्थल पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग के रूप में विकसित होगा, जहां वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ छुट्टियां बिता सकेंगे। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, वॉटर स्पोर्ट्स, और ऐतिहासिक धरोहर पर्यटकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगी।
प्रभात भारत विशेष
वजीरगंज की बारादरी का विकास गोंडा जिले के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल में बदलने का काम भी करेगा। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता ने इस धरोहर को एक नया जीवन देने की पहल की है, जिससे गोंडा जिले को एक नई पहचान मिलेगी।
बारादरी का पर्यटन स्थल के रूप में विकास स्थानीय अर्थव्यवस्था, संस्कृति और रोजगार को बढ़ावा देगा, और इससे गोंडा जिले को न केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिलेगी। इस परियोजना से गोंडा का भविष्य उज्ज्वल और समृद्ध होने की पूरी संभावना है, जिससे इसे एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में देखा जाएगा।