
उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी: दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत
लखनऊ 19 अक्टूबर। सड़क दुर्घटनाओं के मामले में उत्तर प्रदेश ने देश के बाकी राज्यों की तुलना में एक बार फिर शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। साल 2023 के दौरान हुई दुर्घटनाओं में सबसे ज़्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में दर्ज की गईं, जो राज्य की सड़कों की खतरनाक स्थिति और यातायात प्रबंधन में कमियों को उजागर करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में, उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है, जहां न केवल सड़कों की खराब स्थिति बल्कि यातायात नियमों के उल्लंघन, अवैध बस सेवाओं और वाहनों की अनियमित स्थिति जैसी कई समस्याएं दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बन रही हैं।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और सरकारी अधिकारियों ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई है और राज्य सरकार के साथ-साथ पुलिस विभाग से सख्त कदम उठाने की मांग की है। हाल ही में गोंडा में एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना में कई लोगों की मौत हो गई, जिसने इस समस्या की गंभीरता को और उजागर कर दिया। इस दुर्घटना के बाद उत्तर प्रदेश के एक बड़े अधिकारी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की।
उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा: मौतों की संख्या में सबसे आगे
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2023 के दौरान सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें बड़ी संख्या में मौतें हुईं। इन दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों में से एक बड़ी संख्या दोपहिया वाहन सवारों की थी। यह प्रवृत्ति चिंताजनक है, क्योंकि राज्य में निजी वाहनों के उपयोग में भारी वृद्धि हुई है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां सार्वजनिक परिवहन की सुविधाएं सीमित हैं।
उत्तर प्रदेश में हुई दुर्घटनाओं में सबसे बड़ा योगदान अवैध रूप से चलने वाली बसों और अन्य व्यावसायिक वाहनों का रहा है। कई दुर्घटनाओं में पाया गया है कि ये बसें न तो सुरक्षित हैं और न ही उनके ड्राइवर यातायात नियमों का पालन करते हैं। इन बसों का संचालन बिना किसी सरकारी निगरानी के होता है, और ये अक्सर नियमों का उल्लंघन करते हुए ओवरलोड होकर सड़कों पर दौड़ती हैं।
सड़क दुर्घटनाओं पर गंभीर कदम उठाने की जरूरत
उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस विषय पर मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमारे राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी एक गंभीर समस्या है, और हमें इसे रोकने के लिए व्यापक कार्यवाही की जरूरत है। हाल ही में प्रदेश में जो दुर्घटना हुई, उसने हमें फिर से चेताया है कि हमारे यातायात नियमों को सख्ती से लागू करना कितना ज़रूरी है। राज्य में अवैध रूप से चलने वाली बसें और अन्य व्यावसायिक वाहन रोज़ाना दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, और हमें इस पर नियंत्रण करने की तत्काल आवश्यकता है।”
इस अधिकारी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग को मिलकर अवैध वाहनों की जांच के लिए एक ठोस योजना बनानी होगी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए पुलिस विभाग को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए और सड़कों पर अवैध परिवहन को खत्म करने के लिए एक विशेष अभियान चलाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमारे पास जो आंकड़े हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। उत्तर प्रदेश में हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं, और इनमें से अधिकांश दुर्घटनाओं का कारण यातायात नियमों का पालन न करना है। हमें सख्त कदम उठाने होंगे, और यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य की सड़कों पर चलने वाले हर वाहन के पास वैध दस्तावेज हों और वह नियमों का पालन कर रहा हो।”
अवैध बसों पर नियंत्रण की आवश्यकता
अवैध बसों का संचालन उत्तर प्रदेश की सड़कों पर एक बड़ी समस्या बन चुका है। ये बसें अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों से लंबी दूरी तय करती हैं और यात्रियों को कम कीमत पर परिवहन सेवाएं प्रदान करती हैं। लेकिन, इनकी सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा जाता और यही कारण है कि ये बसें दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बनती हैं।
रविशंकर मिश्रा, एक यातायात विशेषज्ञ, ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में इन बसों का संचालन पूरी तरह अवैध है। इनके पास न तो फिटनेस सर्टिफिकेट होता है और न ही इनके ड्राइवरों के पास लाइसेंस होते हैं। ये बसें अक्सर ओवरलोड होती हैं और कई बार तो यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी सही नहीं होती। ऐसे में जब ये सड़कों पर दौड़ती हैं, तो दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।”
सरकार को अवैध बसों पर नियंत्रण के लिए विशेष जांच दल का गठन करना चाहिए और सभी अवैध बसों को जब्त करना चाहिए। इसके अलावा, बसों के मालिकों को भी सख्त दंड दिया जाना चाहिए ताकि इस तरह की अवैध परिवहन सेवाओं का संचालन बंद हो सके।
सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान की जरूरत
सड़क दुर्घटनाओं में लगातार हो रही वृद्धि के बावजूद, उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग को मिलकर एक व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिए, जिसमें जनता को सड़क सुरक्षा नियमों के पालन के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए।
डॉ. सुरेश प्रताप सिंह, जो कि सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ हैं, ने कहा, “उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए हमें लोगों को यातायात नियमों के पालन के प्रति जागरूक करना होगा। हेलमेट पहनने, सीट बेल्ट का इस्तेमाल करने, गति सीमा का पालन करने जैसी साधारण बातें भी जानलेवा दुर्घटनाओं को रोक सकती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में सड़क सुरक्षा पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए ताकि युवा पीढ़ी को शुरू से ही सड़क सुरक्षा के महत्व का एहसास हो सके।
ठोस कदम उठाने की जरूरत
उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए, राज्य सरकार को अब ठोस कदम उठाने होंगे। पुलिस विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियों को मिलकर सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए काम करना होगा। अवैध बसों और अन्य व्यावसायिक वाहनों पर नियंत्रण, सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता अभियान और यातायात नियमों के सख्त पालन के जरिए ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।
इसके अलावा, राज्य में ट्रैफिक इंजीनियरिंग को भी सुधारने की आवश्यकता है। सड़कों की मरम्मत, यातायात संकेतकों की सही व्यवस्था और सड़कों पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए नए मानक स्थापित किए जाने चाहिए।