गोंडा 19 अक्टूबर। जिले के प्रतिष्ठित शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह इंटर कॉलेज (टॉमसन) में चल रहे वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामलों का पर्दाफाश हुआ है। कॉलेज के तत्कालीन प्रबंधक गंगा प्रसाद मिश्र के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं। गोंडा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इन आरोपों की जांच कराई और मिश्र के खिलाफ सख्त कदम उठाए। न सिर्फ उन्हें प्रबंध समिति से विलोपित किया गया बल्कि उनके स्थान पर नए कार्यकारी प्रबंधक की नियुक्ति भी की गई है। इस खबर में हम विस्तृत रूप से बताएंगे कि किस तरह से गंगा प्रसाद मिश्र ने कॉलेज में भ्रष्टाचार का खेल खेला और कैसे डीएम नेहा शर्मा ने इसे उजागर कर कठोर कार्रवाई की।
गंगा प्रसाद मिश्र: पूर्व प्रबंधक की ऊंची पहुंच और दबदबा
गंगा प्रसाद मिश्र न केवल एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, बल्कि उनकी ऊंची पहुंच ने उन्हें कॉलेज में काफी दबदबा दिलाया। वह पावर कॉर्पोरेशन के चर्चित एसडी एपी मिश्र के भाई होने के कारण कॉलेज में अपनी स्थिति मजबूत बनाए हुए थे। यह कनेक्शन उनकी ताकत का स्रोत था, जिसकी वजह से उन्होंने जिलाधिकारी और कॉलेज की अध्यक्ष के आदेशों को अनदेखा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितता और शिक्षा अधिकार कानून के उल्लंघन के आरोप थे, लेकिन उनकी ऊंची पहुंच के चलते वह किसी भी कार्रवाई से बचते रहे। लेकिन हाल ही में हुए प्रशासनिक जांच के बाद, उनके खिलाफ शिकंजा कसा गया और अब उनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
भ्रष्टाचार और अनियमितता: वर्षों से चला आ रहा खेल
शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह इंटर कॉलेज गोंडा का प्रतिष्ठित संस्थान है, लेकिन अगर आरोप की माने तो प्रबंधक गंगा प्रसाद मिश्र के कार्यकाल में कॉलेज में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आईं। वित्तीय अनियमितताओं के कई मामले उजागर हुए। यह आरोप लगे कि कक्षा सात और आठ के छात्रों से अवैध बसूली की गई। इसके अलावा, कॉलेज की बाउंड्री तोड़कर दुकानों का निर्माण कराया गया, जिसके लिए लोगों से एक-एक लाख रुपये की अवैध मांग की गई और फिर इन दुकानों के किराए के समायोजन के नाम पर मनमानी की गई। इन दुकानों के निर्माण के लिए प्रशासनिक अनुमति नहीं ली गई थी और सारे कार्य नियमों के विपरीत किए गए। गंगा प्रसाद मिश्र ने कॉलेज की प्रबंध समिति की बैठकें तक अनियमित रूप से की और समिति के सदस्यों की सूचि निबंधक के पास अनुमोदित नहीं कराई। इतना ही नहीं, कॉलेज की वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज करते हुए 43 लाख 95 हजार रुपये का अनियमित ऋण भी लिया गया। मंडलीय ऑडिट में पाया गया कि कॉलेज प्रबंधन ने कई आवश्यक अभिलेख भी जमा नहीं किए थे।
शिक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन
एक और गंभीर आरोप यह है कि गंगा प्रसाद मिश्र ने शिक्षा अधिकार अधिनियम का उल्लंघन किया। यह अधिनियम छात्रों की शिक्षा के अधिकार की रक्षा करता है, लेकिन प्रबंधक ने इस कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कक्षा सात और आठ के छात्रों से 190 रुपये की अवैध बसूली की। बाद में 50 रुपये तो लौटा दिए गए, लेकिन शेष राशि को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।
डीएम नेहा शर्मा की सख्त कार्रवाई
जब गोंडा की जिलाधिकारी नेहा शर्मा को यह जानकारी मिली कि कॉलेज में भ्रष्टाचार हो रहा है, उन्होंने तत्काल जांच के आदेश दिए। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व मंडलीय मंत्री और अधिवक्ता विनय शुक्ला ने डीएम से शिकायत की थी, जिसके आधार पर डीएम ने जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) से मामले की जांच कराई। डीआईओएस की जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि हुई।
जांच के आधार पर डीएम ने गंगा प्रसाद मिश्र को प्रबंध समिति से हटाने के आदेश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के मामलों में कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। डीएम ने शिक्षा विभाग को भी मामले में कार्रवाई के आदेश दिए। इसके साथ ही, पूर्व प्रबंधक और प्रभारी प्रधानाचार्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।
कॉलेज प्रबंधन में बदलाव
डीएम ने तुरंत गंगा प्रसाद मिश्र को प्रबंधक पद से हटाकर उनके स्थान पर सूर्य प्रसाद मिश्र को कार्यकारी प्रबंधक नामित किया। इसके अलावा, प्रभारी प्रधानाचार्य राजकरण वर्मा को भी उनके पद से हटा दिया गया। उनकी जगह डॉ. अवध शरण मिश्र ने प्रधानाचार्य का पदभार संभाला। यह सारे कदम कॉलेज में फैली अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्देश्य से उठाए गए थे।
भविष्य में विधिक कार्रवाई की संभावना
जिलाधिकारी ने संकेत दिए हैं कि आगे की जांच के बाद गंगा प्रसाद मिश्र के खिलाफ और भी कड़ी विधिक कार्रवाई हो सकती है। वित्तीय अनियमितता और शिक्षा अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के मामले में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। यह मामला अब केवल कॉलेज के स्तर पर सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासन भी इसे गंभीरता से ले रहा है और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा है।
गोंडा के शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह इंटर कॉलेज (टॉमसन) में भ्रष्टाचार का मामला काफी गंभीर है। पूर्व प्रबंधक गंगा प्रसाद मिश्र की ऊंची पहुंच और दबदबा के कारण उन्होंने कॉलेज में वित्तीय अनियमितताएं कीं और शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन किया। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की सख्त कार्यवाही से इन मामलों का पर्दाफाश हुआ और अब आगे और भी कड़ी कार्रवाई होने की संभावना है। यह मामला साबित करता है कि भ्रष्टाचार का कोई भी रूप प्रशासनिक ढांचे से नहीं बच सकता, चाहे व्यक्ति कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।

