
नई दिल्ली 16 अक्टूबर। विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह का पर्यावरण और जैव विविधता के प्रति समर्पण जगजाहिर है, और उनकी नेतृत्व क्षमता ने देश में ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत की भूमिका को और अधिक मजबूती से पेश किया है। हाल ही में, नई दिल्ली स्थित पर्यावरण भवन में उनकी मुलाकात कोलंबिया गणराज्य के विदेश मामलों के उप मंत्री श्री जॉर्ज हौरहे रोहस रोद्रीगेज़ से हुई, जिसमें जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई। इस मुलाकात के दौरान, दोनों देशों ने पर्यावरण संरक्षण में एक साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
संवाद की मुख्य बातें: जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता
यह बैठक विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसमें जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता जैसे वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। कोलंबिया, जो जैव विविधता की दृष्टि से एक अत्यधिक समृद्ध देश है, और भारत, जो अपने विविध पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए जाना जाता है, ने इन मुद्दों पर संवाद करते हुए यह दिखाया कि दोनों देशों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीरता है। इस बैठक में यह बात सामने आई कि जैव विविधता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और सतत विकास के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, दोनों देश अपने अनुभवों और संसाधनों को साझा कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन
इस बैठक के दौरान विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कोलंबिया में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैव विविधता के मुद्दों पर वैश्विक सहयोग अत्यंत आवश्यक है, और भारत इस सम्मेलन में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए तत्पर है। कोलंबिया के कैली में आयोजित होने वाला यह सम्मेलन जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मंच है, जहां विभिन्न देश और संगठन अपने विचार साझा करेंगे और नई नीतियों पर चर्चा करेंगे।
कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि भारत ने जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और यह सम्मेलन उन प्रयासों को और अधिक सशक्त बनाने का एक अवसर होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के सम्मेलन वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और ठोस नीतिगत कदम उठाने में सहायक होते हैं।
एक पेड़ माँ के नाम: प्रधानमंत्री की एक विशेष पहल
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान का उल्लेख किया। यह अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इसमें माताओं के प्रति आदर और श्रद्धा का भी प्रतीक है। इस अभियान के तहत, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह पहल पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाने के साथ-साथ मातृत्व के प्रति समाज की संवेदनशीलता और सम्मान को भी उजागर करती है।
इस अभियान की सराहना कोलंबिया के उप मंत्री श्री जॉर्ज हौरहे रोहस रोद्रीगेज़ ने भी की। उन्होंने इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया, जो न केवल भारत के लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण के साथ सामाजिक मूल्य और सांस्कृतिक विरासत को भी जोड़ने का प्रयास करती है।
कीर्तिवर्धन सिंह की नेतृत्व क्षमता और जैव प्रेम
कीर्तिवर्धन सिंह न केवल एक कुशल राजनेता हैं, बल्कि वह पर्यावरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील और जागरूक भी हैं। उनका जैव प्रेम उनके कार्यों और पहलों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। चाहे वह जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर उनकी समझ हो या जैव विविधता संरक्षण की दिशा में उनकी सोच, सिंह हमेशा एक समग्र और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हैं।
उनके नेतृत्व में, भारत ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पर्यावरण के मुद्दों पर अपनी आवाज़ उठाई है। उन्होंने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की तरफ से पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनकी यह सोच स्पष्ट रूप से दिखाती है कि वे एक दूरदर्शी नेता हैं, जो न केवल वर्तमान की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं, बल्कि भविष्य को भी ध्यान में रखते हुए नीतियों को आकार देने में विश्वास रखते हैं।
मधुबनी पेंटिंग: संस्कृति और पर्यावरण का संगम
मुलाकात के दौरान, कीर्तिवर्धन सिंह ने श्री जॉर्ज हौरहे रोहस रोद्रीगेज़ को मंत्रालय की गैलरी में ‘नेचर’ व ‘कल्चर’ की थीम पर उकेरित मधुबनी पेंटिंग की विशेषता से अवगत कराया। मधुबनी पेंटिंग बिहार की एक प्राचीन कला शैली है, जिसमें प्रकृति और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। इन पेंटिंग्स में पर्यावरण, वन्यजीवन और मानव जीवन के बीच के गहरे संबंध को चित्रित किया जाता है।
कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि यह कला न केवल भारतीय संस्कृति की धरोहर है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी दर्शाती है। पर्यावरण की रक्षा के लिए कला का यह उपयोग न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने में सहायक हो सकता है।
भारत और कोलंबिया: पर्यावरण संरक्षण में साझेदारी
भारत और कोलंबिया दोनों ही जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण देश हैं। जहां कोलंबिया में अमेजन वर्षावनों के रूप में दुनिया की सबसे बड़ी जैव विविधता मौजूद है, वहीं भारत भी अपनी विशाल वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के लिए प्रसिद्ध है। दोनों देशों के बीच पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर संवाद और साझेदारी से वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय संकटों का समाधान निकालने में मदद मिल सकती है।
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने इस मुलाकात के दौरान इस साझेदारी को और मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत और कोलंबिया जैसे देश, जो जैव विविधता से भरपूर हैं, उन्हें पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर मिलकर काम करना चाहिए और अन्य देशों को भी प्रेरित करना चाहिए।
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह और कोलंबिया गणराज्य के उप मंत्री श्री जॉर्ज हौरहे रोहस रोद्रीगेज़ के बीच हुई यह मुलाकात दोनों देशों के बीच पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के मुद्दों पर सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।
कीर्तिवर्धन सिंह के नेतृत्व में भारत ने जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और उनकी समझदारी और दूरदर्शिता से न केवल भारत बल्कि विश्वभर में पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बल मिला है। उनका “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान इस दिशा में एक अनूठी पहल है, जो आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर एक मिसाल बन सकती है।
साथ ही, दोनों देशों के बीच इस तरह की साझेदारियों से भविष्य में वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत और संयुक्त प्रयास संभव हो सकेगा।