साढ़ का आतंक क्षेत्र में था जिसकी सूचना पर पशु चिकित्सा अधिकारी गए थे मौके पर
अमेठी 14 अक्टूबर। जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र के रानीगंज संग्रामपुर गांव में इन दिनों एक आवारा खूनी सांड ने आतंक मचा रखा है। इस सांड के हमलों से कई लोग बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले एक अधेड़ व्यक्ति की इस खूनी सांड के हमले से मौत हो गई थी, जिससे पूरे गांव में दहशत का माहौल है। वहीं, आज सुबह इस सांड ने एक महिला पर भी जानलेवा हमला कर दिया, जिससे महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल महिला को तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
पशु चिकित्सा अधिकारी पर हमला
इस खूनी सांड का आतंक बढ़ता देख प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी को मौके पर भेजा। पशु चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम ने सांड को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास विफल रहा। सांड ने अचानक हमला कर दिया, जिससे अधिकारी को अपनी जान बचाकर वहां से भागना पड़ा। घटना का एक एक्सक्लूसिव वीडियो न्यूज़ स्टेट के पास है, जिसमें यह साफ देखा जा सकता है कि कैसे सांड ने अधिकारी पर हमला किया और कैसे अधिकारी ने खुद को बचाने की कोशिश की।
ग्रामीणों में डर का माहौल
इस सांड के लगातार हमलों से ग्रामीणों में भारी दहशत फैल गई है। गांव के लोग अब घर से बाहर निकलने में डर रहे हैं, और यहां तक कि बच्चों को भी स्कूल भेजने से परहेज कर रहे हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि यह सांड पिछले कई महीनों से गांव में आवारा घूम रहा था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसका व्यवहार आक्रामक हो गया है और यह किसी पर भी हमला कर देता है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सांड को पकड़ने के लिए प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिसके चलते यह स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है।
प्रशासनिक विफलता
स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अब तक इस खूनी सांड को पकड़ने में कोई सफलता नहीं मिल पाई है। प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि सांड को पकड़ने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह ऑपरेशन बेहद धीमी गति से चल रहा है और इसमें अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इस समस्या के समाधान के लिए पुलिस और ब्लॉक पशु चिकित्सा अधिकारी के साथ भारी संख्या में ग्रामीण भी जुटे हुए हैं, लेकिन अभी तक सांड को पकड़ने में सफलता नहीं मिल पाई है।
ग्रामीणों की नाराजगी
ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने पहले ही इस आवारा सांड की समस्या पर ध्यान दिया होता, तो आज ऐसी स्थिति नहीं बनती। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते अब तक कई लोग घायल हो चुके हैं और एक व्यक्ति की जान भी जा चुकी है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अगर जल्द ही इस सांड को पकड़ने में सफलता नहीं मिलती है, तो वे उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाएंगे। ग्रामीणों की मांग है कि इस सांड को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और इसे कहीं दूर जंगल में छोड़ा जाए ताकि यह फिर से किसी पर हमला न कर सके।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
इस सांड को पकड़ने के लिए जिला प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है, जिसमें स्थानीय पुलिस, पशु चिकित्सा विभाग और ग्रामीण शामिल हैं। हालांकि, यह ऑपरेशन अब तक असफल साबित हुआ है। रेस्क्यू टीम ने कई बार कोशिश की, लेकिन हर बार सांड के हमले का सामना करना पड़ा, जिसके चलते सांड को पकड़ना मुश्किल हो गया। प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि इस ऑपरेशन को तब तक जारी रखा जाएगा जब तक सांड को पकड़ नहीं लिया जाता। इसके साथ ही, प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे इस सांड से दूर रहें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत पुलिस को सूचना दें।
सांड को पकड़ने में आ रही चुनौतियां
रेस्क्यू ऑपरेशन के असफल होने के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, सांड का अत्यधिक आक्रामक व्यवहार ऑपरेशन को कठिन बना रहा है। सांड जब भी टीम के करीब आता है, वह तुरंत हमला कर देता है, जिससे टीम को पीछे हटना पड़ता है। इसके अलावा, गांव का इलाका भी सांड को पकड़ने के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। गांव में संकरी गलियां और खेत होने के कारण सांड को पकड़ने में कठिनाई हो रही है। सांड अक्सर इन इलाकों में छिप जाता है, जिससे उसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
सांड से निपटने के अन्य उपाय
ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच इस सांड से निपटने के लिए अन्य उपायों पर भी चर्चा हो रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सांड को बेहोश करके उसे पकड़ने का प्रयास किया जा सकता है, ताकि उसकी आक्रामकता को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा, कुछ लोग सुझाव दे रहे हैं कि सांड को पकड़ने के लिए जाल का इस्तेमाल किया जाए, जिससे उसे सुरक्षित तरीके से काबू में किया जा सके। हालांकि, इन उपायों को लागू करने के लिए प्रशासन को और भी विशेषज्ञों की मदद लेनी होगी।
समस्या की जड़: आवारा पशुओं की समस्या
यह घटना सिर्फ एक आवारा सांड की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या की ओर इशारा करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इनके कारण कई दुर्घटनाएं हो रही हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जिससे यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। इस घटना ने एक बार फिर से आवारा पशुओं की समस्या को उजागर किया है और इसके समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया है।
समाधान की जरूरत
आवारा पशुओं की समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार और प्रशासन को एक दीर्घकालिक नीति बनाने की आवश्यकता है। सबसे पहले, आवारा पशुओं की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी कार्यक्रमों को तेज करना होगा। इसके अलावा, आवारा पशुओं को आश्रय प्रदान करने के लिए गौशालाओं की संख्या बढ़ानी होगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं के लिए अलग से स्थान निर्धारित करना चाहिए, जहां ये पशु सुरक्षित रहें और लोगों के लिए खतरा न बनें।
प्रभात भारत विशेष
अमेठी जिले के रानीगंज संग्रामपुर गांव में खूनी सांड के आतंक से ग्रामीण दहशत में हैं। प्रशासनिक नाकामी और आवारा पशुओं की समस्या ने इस घटना को और भी गंभीर बना दिया है। सांड को पकड़ने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन अब तक इसमें कोई सफलता नहीं मिली है। ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब दे रहा है, और वे जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान चाहते हैं। प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आवारा पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान निकालना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो और लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।

