
कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन: 14 अक्टूबर से देशव्यापी हड़ताल, FAIMA का समर्थन
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2024। पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन अब एक देशव्यापी आंदोलन का रूप ले चुका है। अखिल भारतीय चिकित्सा संघों के महासंघ (FAIMA) ने 14 अक्टूबर से पूरे देश में वैकल्पिक चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है, और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने राज्य सरकार पर डॉक्टरों की मांगों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
घटना की पृष्ठभूमि:
पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पिछले 65 दिनों से जूनियर डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध का कारण एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना है, जिसने पूरे चिकित्सा समुदाय को हिला कर रख दिया। इस जघन्य अपराध के बाद, जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की थी, परंतु पश्चिम बंगाल सरकार की उदासीनता और मांगों की अनदेखी के चलते यह विरोध प्रदर्शन लगातार जारी रहा।
पिछले एक सप्ताह से विरोध प्रदर्शन अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में तब्दील हो गया है, और अब तक किसी ठोस समाधान की उम्मीद नहीं दिखाई दी है। इस घटनाक्रम के बीच, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के करीब 50 वरिष्ठ डॉक्टरों और संकाय सदस्यों ने जूनियर डॉक्टरों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफे विरोध को और भी बल दे रहे हैं, जिससे राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
FAIMA की घोषणा:
अखिल भारतीय चिकित्सा संघों के महासंघ (FAIMA) ने 14 अक्टूबर से देशव्यापी हड़ताल का एलान किया है। इस हड़ताल के तहत देशभर के सभी मेडिकल एसोसिएशनों और रेजिडेंट डॉक्टरों से वैकल्पिक चिकित्सा सेवाओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया है। FAIMA ने अपने बयान में कहा, “हम अपने सहयोगियों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए इस आंदोलन का समर्थन करते हैं और पश्चिम बंगाल सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा और न्याय की मांग करते हैं।”
FAIMA के महासचिव ने कहा कि डॉक्टरों पर हो रहे अत्याचार और बढ़ती हिंसा को लेकर चिकित्सा समुदाय में गहरी चिंता व्याप्त है। “हमारे सहयोगी पिछले 65 दिनों से विरोध कर रहे हैं और एक सप्ताह से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। मगर राज्य सरकार ने अभी तक उनकी मांगों को लेकर कोई सार्थक कदम नहीं उठाया है। यह हमारे पेशे की गरिमा के खिलाफ है, और अब हमें मजबूरन देशव्यापी हड़ताल पर जाना पड़ रहा है।”
पश्चिम बंगाल भाजपा का समर्थन:
पश्चिम बंगाल भाजपा ने इस आंदोलन का समर्थन करते हुए राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह डॉक्टरों की सुरक्षा और न्याय को लेकर असंवेदनशील बनी हुई है। भाजपा के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि उनकी पार्टी जूनियर डॉक्टरों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी है।
सुकांत मजूमदार ने कहा, “पश्चिम बंगाल भाजपा ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देती है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य अपराध के बाद प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांगें बिल्कुल जायज हैं, और उन्हें पूरा किया जाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने डॉक्टरों के साथ बैठकर उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन अब सरकार अपने वादों से मुकर गई है। “हमें अपने डॉक्टरों की रक्षा करनी है और पश्चिम बंगाल को उन नकारात्मक ताकतों से बचाना है जो राज्य के मामलों को नियंत्रित कर रही हैं।”
डॉक्टरों की प्रमुख मांगें:
इस आंदोलन के दौरान जूनियर डॉक्टरों की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
1. सुरक्षा की गारंटी: डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा ठोस उपाय किए जाएं। इस मांग के तहत अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और डॉक्टरों पर होने वाले हमलों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने की आवश्यकता बताई गई है।
2. दुष्कर्म और हत्या की जांच: आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की पूरी जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। डॉक्टरों का आरोप है कि राज्य सरकार इस मामले की जांच में देरी कर रही है, जिससे उनका विश्वास सरकार पर से उठ चुका है।
3. समान वेतन और सुविधाएं: जूनियर डॉक्टरों की एक और प्रमुख मांग यह है कि उन्हें समान वेतन और सुविधाएं दी जाएं, जो अन्य राज्यों के डॉक्टरों को मिलती हैं।
4. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: डॉक्टरों का यह भी कहना है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की जरूरत है ताकि मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और डॉक्टरों को भी काम करने का बेहतर वातावरण मिले।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया:
इस व्यापक विरोध प्रदर्शन के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन उसके बाद से सरकार की ओर से कोई प्रगति नहीं हुई।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने मीडिया को बताया कि सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है, लेकिन जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन को लेकर सरकार पर निराशा बढ़ती जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और जल्द ही कोई समाधान निकालेगी।
देशव्यापी हड़ताल की संभावना और इसके प्रभाव:
FAIMA के समर्थन और देशभर के डॉक्टरों से अपील के बाद, देशव्यापी हड़ताल की संभावना काफी बढ़ गई है। यदि डॉक्टर इस हड़ताल में शामिल होते हैं, तो इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर वैकल्पिक चिकित्सा सेवाओं पर।
FAIMA ने सभी चिकित्सा संघों से अपील की है कि वे इस हड़ताल में शामिल हों और डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता दें। हालांकि, इस हड़ताल से सामान्य मरीजों को भी असुविधा हो सकती है, क्योंकि वैकल्पिक चिकित्सा सेवाएं बंद रहेंगी।
देश के विभिन्न हिस्सों में मेडिकल एसोसिएशन ने FAIMA के इस आह्वान पर अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, और अन्य प्रमुख शहरों के रेजिडेंट डॉक्टर संघों ने भी इस हड़ताल में शामिल होने की संभावना जताई है।
अन्य चिकित्सा संघों की प्रतिक्रिया:
FAIMA के आह्वान पर देशभर के विभिन्न चिकित्सा संघों ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने इस हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। IMA के अध्यक्ष ने कहा, “यह हड़ताल डॉक्टरों की सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई है, और हम FAIMA के इस कदम का पूरा समर्थन करते हैं।”
वहीं, अन्य चिकित्सा संघों ने भी इस हड़ताल के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की है। कई राज्य सरकारों ने डॉक्टरों के विरोध को गंभीरता से लिया है और डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए बातचीत की तैयारी शुरू कर दी है।
प्रभात भारत विशेष
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन अब एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। FAIMA और अन्य चिकित्सा संघों द्वारा देशव्यापी हड़ताल का एलान इस विरोध को और अधिक तीव्र कर सकता है। डॉक्टरों की सुरक्षा, दुष्कर्म और हत्या के मामलों की निष्पक्ष जांच, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जैसी मांगें इस आंदोलन के मुख्य बिंदु हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार इस विरोध को कैसे संभालती हैं।