
(विजय प्रताप पांडे ) लखनऊ 13 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में दुर्गा पूजा मूर्ति विसर्जन के दौरान एक बार फिर से अशांति और बवाल की खबरें सामने आई हैं। राज्य के कई जिलों, विशेषकर गोंडा, बहराइच, कौशांबी और आस-पास के इलाकों में विसर्जन के समय झड़पें हुईं, जिससे कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। प्रदेश में चुनावी मौसम नजदीक होने के कारण यह घटनाएं राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। इन घटनाओं के पीछे सांप्रदायिक तनाव, प्रशासनिक विफलता और राजनीति के गहरे संबंधों को लेकर चर्चाएं तेज हो रही हैं।
घटनाओं का सिलसिला: गोंडा और बहराइच सबसे ज्यादा प्रभावित
गोंडा और बहराइच जिलों में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान सबसे गंभीर झड़पों की खबरें सामने आईं। बहराइच में तो हुए बवाल मैं हिंसक मोड़ ले लिया पथराव और फायरिंग में एक व्यक्ति की जान चली गई इसके बाद नाराज भीड़ ने कई स्थानों पर अपना गुस्सा निकाला जिन्हें काबू में करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा गोंडा में विसर्जन जुलूस के दौरान साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ, जब जुलूस एक इलाके से निकल रहा था। जुलूस के दौरान पत्थरबाजी की घटनाएं भी सामने आईं, जिसके बाद स्थिति ने हिंसक रूप ले लिया। दो गुटों के बीच झड़प हुई। यहां भी पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, पुलिस अधीक्षक की समझदारी से भक्तों की भीड़ को जल्दी काबू में ले लिया गया।
विसर्जन की परंपरा और सुरक्षा चुनौतियां
उत्तर प्रदेश में दुर्गा पूजा विसर्जन की परंपरा वर्षों पुरानी है, लेकिन हर साल इस दौरान सुरक्षा और कानून व्यवस्था की चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। विसर्जन के समय जुलूसों के रास्ते, खासकर जब वे दूसरे समुदाय से जुड़े लोगों के क्षेत्र से गुजरते हैं, तनाव का कारण बनते हैं। पिछले कुछ वर्षों से यह देखने में आ रहा है कि विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक झड़पों की घटनाएं बढ़ रही हैं, और इन घटनाओं का राजनीतिकरण भी हो रहा है।
पुलिस और प्रशासन ने पहले से ही कई इलाकों में सुरक्षा इंतजाम किए थे, लेकिन फिर भी घटनाओं को रोका नहीं जा सका। गोंडा, बहराइच के अलावा कई अन्य जिलों से भी छोटी-मोटी झड़पों की खबरें सामने आईं। कुछ स्थानों पर प्रशासनिक सतर्कता के कारण बड़ी घटनाओं को टाला जा सका, लेकिन जहां पुलिस की संख्या कम थी, वहां स्थिति बिगड़ती गई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आरोप-प्रत्यारोप
दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान हुई इन हिंसक घटनाओं के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन घटनाओं को विपक्ष द्वारा प्रायोजित बताते हुए इसे एक ‘सांप्रदायिक साजिश’ करार दिया है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि विपक्षी दल चुनावों के करीब आते ही जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार की छवि धूमिल हो।
वहीं, विपक्षी दलों ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वे सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने में पूरी तरह असफल रहे हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इन घटनाओं की कड़ी निंदा की है और सरकार पर सांप्रदायिक तनाव को भड़काने का आरोप लगाया है। सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा, “यह सरकार सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति करती है, जबकि प्रदेश की जनता शांति चाहती है। अगर सरकार समय पर कदम उठाती, तो ऐसी घटनाएं नहीं होतीं।”
चुनावी राजनीति का संभावित असर
लगता है उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर अभी से ही सियासी हलचल तेज हो चुकी है। इन घटनाओं को चुनावी राजनीति के चश्मे से भी देखा जा रहा है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं का इस्तेमाल चुनावी ध्रुवीकरण के लिए किया जा सकता है। राज्य में भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे और सांप्रदायिक मुद्दों को उठाने की नीति का असर साफ दिख रहा है। ऐसे में, विपक्षी दलों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका हो सकता है, जहां वे भाजपा सरकार की विफलताओं को जनता के सामने रख सकते हैं।
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं मतदाताओं के बीच ध्रुवीकरण को और गहरा कर सकती हैं, जिससे सांप्रदायिक आधार पर वोटों का बंटवारा होने की संभावना बढ़ जाती है। आगामी चुनावों में सांप्रदायिक मुद्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है, खासकर उन इलाकों में जहां साम्प्रदायिक झड़पें हुई हैं।
विपक्ष की रणनीति और चुनौतियां
विपक्षी दल, विशेषकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, इन घटनाओं को भाजपा के खिलाफ मुद्दा बना सकते हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था का हाल बद से बदतर हो चुका है। सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम कर रही है।” सपा और बसपा के लिए यह समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें चुनाव से पहले अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर मिल रहा है। लेकिन विपक्ष को यह भी ध्यान रखना होगा कि उन्हें जनता के सामने एक ठोस एजेंडा पेश करना होगा, जो सिर्फ भाजपा की आलोचना तक सीमित न हो।
भविष्य की राह: क्या उत्तर प्रदेश शांति की ओर बढ़ेगा?
उत्तर प्रदेश में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान हुई घटनाएं एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या राज्य प्रशासन और राजनीतिक दल मिलकर प्रदेश को शांति और सद्भाव की ओर ले जा सकते हैं। चुनाव नजदीक होने के कारण इन घटनाओं का राजनीतिकरण होना लगभग तय है, लेकिन यह समय है कि सभी दल और प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।
प्रशासन को इस प्रकार की घटनाओं से सबक लेकर भविष्य में और अधिक सतर्कता बरतनी होगी, ताकि धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान किसी प्रकार की हिंसा न हो। साथ ही, राजनीतिक दलों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे चुनावी लाभ के लिए सांप्रदायिक भावनाओं का इस्तेमाल न करें।
उत्तर प्रदेश के लिए यह एक संवेदनशील दौर है, जहां विकास, सुरक्षा और साम्प्रदायिक सौहार्द के बीच संतुलन बनाना बेहद जरूरी है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार और विपक्षी दल इस चुनौती को कैसे संभालते हैं, और क्या चुनाव से पहले शांति की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाए जाते हैं या नहीं।