
माता सीता की खोज में निकले रामायण के दो वानर किरदार फरार
हरिद्वार 12 अक्टूबर। उत्तराखंड के हरिद्वार में एक अजीबो-गरीब और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। हरिद्वार जेल में रामलीला का आयोजन चल रहा था, जिसमें जेल के बंदी भी भाग ले रहे थे। इसी दौरान, माता सीता की खोज में निकले रामायण के दो वानर किरदार, असल में कैदी, बाउंड्री फांदकर फरार हो गए। इस घटना के बाद से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है और दोनों फरार कैदियों की तलाश जोरों पर है।
फरार हुए दोनों कैदी गंभीर आपराधिक मामलों में जेल में बंद थे। एक कैदी पर हत्या का आरोप है, जबकि दूसरा अपहरण के आरोप में जेल की सजा काट रहा था। दोनों कैदियों के नाम रामकुमार और पंकज बताए जा रहे हैं। इस घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था और कार्यक्रमों में कैदियों की भागीदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का पूरा विवरण
घटना का केंद्र हरिद्वार जेल है, जहां इस बार कैदियों के मनोबल को बढ़ाने और उन्हें समाज से जोड़ने के लिए रामलीला का आयोजन किया गया था। रामलीला के पात्रों के रूप में कैदियों ने ही विभिन्न भूमिकाएं निभाई, ताकि वे इस सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन का हिस्सा बन सकें। इसी आयोजन के दौरान, रामायण के उस हिस्से की प्रस्तुति हो रही थी, जहां भगवान राम के भक्त, वानर सेना के सदस्य, माता सीता की खोज में निकलते हैं।
दो कैदी, रामकुमार और पंकज, वानर सेना के पात्र बने हुए थे। जब यह पात्र मंचन कर रहे थे और माता सीता की खोज में ‘वन’ में जा रहे थे, तब जेल के सुरक्षा प्रहरियों और अन्य कैदियों को यह एहसास भी नहीं हुआ कि असल जिंदगी में भी यह दोनों ‘खोज’ के बहाने फरार होने का मन बना चुके हैं। कुछ देर बाद जब यह दोनों ‘वानर’ वापस नहीं लौटे, तो जेल प्रशासन को शक हुआ और उनकी खोज शुरू की गई।
फरार होने का तरीका
जांच के दौरान पता चला कि रामकुमार और पंकज ने जेल की बाउंड्री को फांद कर फरार होने का तरीका अपनाया। जब रामलीला की प्रस्तुति चल रही थी, तब जेल की सुरक्षा पर ध्यान अपेक्षाकृत कम था, और इसी मौके का फायदा उठाकर दोनों कैदियों ने जेल की बाउंड्री को पार कर भागने की योजना बनाई। इस तरह की घटनाओं से यह सवाल उठता है कि जेल प्रशासन को इस तरह के आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा करना चाहिए था।
फरार कैदियों की पहचान और अपराध
रामकुमार, जो फरार होने वाले कैदियों में से एक है, पर हत्या का गंभीर आरोप है। उसे कुछ समय पहले ही हत्या के मामले में दोषी पाया गया था और हरिद्वार जेल में सजा काट रहा था। वहीं, पंकज, जो दूसरे कैदी हैं, पर अपहरण का आरोप है। पंकज को भी इसी आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वह भी अपनी सजा काट रहा था।
दोनों कैदी गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल थे, और उनके फरार होने से सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने दोनों की तलाश शुरू कर दी है, लेकिन अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है। फरार होने के बाद से इन दोनों के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है, और पुलिस उनकी तलाश में आसपास के इलाकों में छापेमारी कर रही है।
प्रशासन में मचा हड़कंप
कैदियों के फरार होने की खबर जैसे ही फैली, जेल प्रशासन और पुलिस में हड़कंप मच गया। रामलीला के आयोजन के दौरान यह घटना हुई, जब पूरा जेल स्टाफ और अन्य कैदी आयोजन में व्यस्त थे। इस वजह से फरार कैदियों को भागने का मौका मिला, और उन्होंने इसका भरपूर फायदा उठाया।
जेल प्रशासन ने तुरंत उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी और दोनों कैदियों की तलाश के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया। पुलिस और जेल प्रशासन की टीमें हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में कैदियों की तलाश में जुट गई हैं।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था और कैदियों के साथ किए जाने वाले सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जेल में इस तरह के आयोजन का उद्देश्य कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और उनके पुनर्वास की दिशा में काम करना होता है। लेकिन इस घटना से यह साफ हो गया है कि सुरक्षा के मामले में कुछ बड़ी चूक हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के आयोजनों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होने चाहिए। कैदियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखनी चाहिए और ऐसे आयोजनों में भाग लेने वाले कैदियों की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर ही उन्हें शामिल किया जाना चाहिए। हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों के आरोपियों को इस तरह की स्वतंत्रता देना जोखिम भरा साबित हो सकता है, जैसा कि इस मामले में हुआ।
पुलिस की जांच और कार्रवाई
फरार कैदियों की तलाश के लिए पुलिस ने व्यापक जांच अभियान शुरू कर दिया है। हरिद्वार और उसके आसपास के इलाकों में पुलिस की टीमें तैनात की गई हैं, जो विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर रही हैं। पुलिस ने फरार कैदियों की तस्वीरें भी सार्वजनिक की हैं, ताकि लोगों से भी जानकारी मिल सके।
इसके अलावा, जेल के अंदर हुई इस घटना की भी जांच की जा रही है कि कैसे कैदी बाउंड्री पार करके फरार हो गए। जेल की सुरक्षा में कहां कमी रही और किसकी लापरवाही से यह घटना हुई, इसका भी पता लगाया जा रहा है।
कैदियों की फरारी का समाज पर प्रभाव
हरिद्वार जैसे धार्मिक और शांत क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं समाज में भय का माहौल पैदा करती हैं। हत्या और अपहरण के आरोपियों के फरार होने से स्थानीय लोग डरे हुए हैं। लोग आशंका जता रहे हैं कि अगर ये कैदी पकड़े नहीं गए, तो वे किसी और अपराध को अंजाम दे सकते हैं।
कैदियों के पुनर्वास और सुरक्षा के बीच संतुलन
यह घटना जेलों में कैदियों के पुनर्वास के प्रयासों पर भी सवाल खड़ा करती है। देशभर की जेलों में कैदियों के मानसिक और सामाजिक सुधार के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं, ताकि उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाया जा सके। रामलीला जैसे धार्मिक आयोजनों का उद्देश्य भी यही था कि कैदी इन कार्यक्रमों के माध्यम से समाज से जुड़ें और अपने अपराधों का प्रायश्चित करें।
लेकिन इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि सुरक्षा और पुनर्वास के बीच एक संतुलन बनाना बेहद जरूरी है। अगर सुरक्षा में चूक होती है, तो पुनर्वास के प्रयास विफल हो सकते हैं और समाज में ऐसे अपराधियों का फिर से लौटना खतरे से कम नहीं है।
हरिद्वार जेल से फरार हुए दो कैदी, जो रामलीला में वानर के रूप में भाग ले रहे थे, ने प्रशासन और पुलिस की नींद उड़ा दी है। हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में बंद ये दोनों कैदी बाउंड्री फांदकर फरार हो गए, और अब उनकी तलाश में पुलिस की टीमें जुटी हुई हैं।
यह घटना जेल की सुरक्षा व्यवस्था और कैदियों के पुनर्वास के प्रयासों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए सुरक्षा के और भी कड़े इंतजाम करने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो और समाज में कानून व्यवस्था बनी रहे।