महावीर सिंह हत्या मामला: लम्बे समय से फरार अभियुक्त गोबिन्द और सीताराम दास की गिरफ्तारी
गोंडा 7 अक्टूबर। गोंडा जिले में 2007 में घटित महावीर सिंह हत्या कांड में, आखिरकार अयोध्या पुलिस ने लंबे समय से फरार दो मुख्य अभियुक्तों, गोबिन्द उर्फ संजय उर्फ विजय चेला सियानाथ और सीताराम दास उर्फ विजय चेला रामशरण दास को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब दोनों अभियुक्त कई वर्षों तक पहचान बदल-बदल कर पुलिस से बचते रहे थे। इस जघन्य हत्या कांड में शामिल दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
घटना का पृष्ठभूमि
यह मामला 6 जून, 2007 का है, जब महावीर सिंह पुत्र कृष्णपाल सिंह, निवासी तुलसीपुर माझा, थाना नवाबगंज, की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद, पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज करते हुए मुकदमा संख्या 315/2007 धारा 302 भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत केस पंजीकृत किया। हत्या के इस मामले ने स्थानीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया था और पुलिस पर दबाव बढ़ा था कि जल्द से जल्द दोषियों को पकड़कर सजा दिलाई जाए।
अभियुक्तों की पहचान और उनकी फरारी
हत्या के आरोप में गोबिन्द उर्फ संजय उर्फ विजय चेला सियानाथ और सीताराम दास उर्फ विजय चेला रामशरण दास को मुख्य आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने इन दोनों अभियुक्तों के खिलाफ जांच की और पर्याप्त सबूत जुटाने के बाद उनके विरुद्ध चार्जशीट पेश की। 16 फरवरी, 2008 को पुलिस ने इनकी सम्पत्ति जब्त करने की कार्यवाही शुरू की और उनके खिलाफ आरोप पत्र भी प्रेषित किया गया।
हालांकि, ये दोनों अभियुक्त पुलिस की पकड़ से बचने के लिए कई वर्षों तक फरार रहे। वे बार-बार अपनी पहचान बदलकर अलग-अलग स्थानों पर रहने लगे और पुलिस को चकमा देते रहे। दोनों अभियुक्त लम्बे समय से अपनी असली पहचान छिपाकर रह रहे थे, और इस दौरान वे गोंडा व अयोध्या पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए थे।
गिरफ्तारी का क्रम
गोंडा पुलिस को अभियुक्तों की तलाश में काफी समय लगा, लेकिन आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। अभियुक्तों की गिरफ्तारी का वारण्ट अदालत द्वारा जारी किया गया और इसे प्रभारी निरीक्षक, रामजन्मभूमि थाना, अयोध्या को भेजा गया। पुलिस ने अभियुक्तों की तलाश में अयोध्या में छापेमारी शुरू की।
16 फरवरी 2008 को, प्रभारी निरीक्षक देवेन्द्र पाण्डेय के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम ने सीताराम दास उर्फ विजय चेला रामशरण दास को अयोध्या के हनुमानकुटी मंदिर के पास स्थित रामघाट से गिरफ्तार किया। पुलिस को सीताराम के निवास स्थान से अभियोग से सम्बन्धित दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण सबूत भी मिले, जिससे पुलिस को यह यकीन हुआ कि वे सही दिशा में काम कर रहे थे। सीताराम दास ने वर्ष 2011 में अपने विरुद्ध प्रेषित आरोप पत्र को निरस्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
दूसरे अभियुक्त, गोबिन्द उर्फ संजय उर्फ विजय चेला सियानाथ पुत्र पुरूषोत्तम सिंह को लक्ष्मण किला से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने गोबिन्द के कमरे से भी अपराध से संबंधित अभिलेख और अन्य सामग्री बरामद की, जो मामले में अहम सबूत साबित हो सकती है।
अभियुक्तों की लंबे समय से फरारी
गोबिन्द और सीताराम ने गिरफ्तारी से बचने के लिए लंबे समय तक अपनी पहचान बदलने की कोशिश की। वे अलग-अलग नामों से, नकली दस्तावेजों के साथ, विभिन्न स्थानों पर रह रहे थे। पुलिस को लगातार उनके बारे में जानकारी मिल रही थी, लेकिन वे हर बार स्थान बदलकर पुलिस की गिरफ्त से दूर हो जाते थे।
गोंडा पुलिस ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए 15-15 हजार रुपये के इनाम की घोषणा भी की थी, जिससे यह साफ था कि पुलिस इन अपराधियों को पकड़ने के लिए पूरी तरह से संकल्पित थी।
गिरफ्तारी टीम
गिरफ्तारी अभियान में अयोध्या पुलिस के कई अधिकारी शामिल थे। इस विशेष टीम में प्रभारी निरीक्षक देवेन्द्र पाण्डेय के साथ-साथ, उप निरीक्षक उत्तम यादव, उप निरीक्षक आलोक कुमार सिंह, हेड कांस्टेबल अशोक वर्मा, हेड कांस्टेबल अखिलेश यादव, और आरक्षी अरूणेश प्रताप सिंह जैसे पुलिस अधिकारी थे। इस टीम ने बेहद चौकसी और सतर्कता से काम करते हुए दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। इसके साथ ही, महिला आरक्षी प्रशाली वर्मा भी इस टीम का हिस्सा थीं, जिन्होंने अपनी भूमिका बखूबी निभाई।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
गोंडा और अयोध्या जिले के पुलिस अधीक्षक ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए गठित टीम की प्रशंसा की और कहा कि यह मामला पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती था, लेकिन पुलिस की सख्ती और मेहनत से आखिरकार यह सफलता मिली। पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि इस मामले में कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास करेगी।
न्यायालय की प्रक्रिया
अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अदालत अब इस मामले की सुनवाई कर रही है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस पर निर्णय आएगा।
महावीर सिंह हत्या कांड में अभियुक्तों की गिरफ्तारी गोंडा पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यह मामला न केवल न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कानून के लंबे हाथ अपराधियों को एक दिन पकड़ ही लेते हैं। अभियुक्तों की फरारी और पुलिस के अथक प्रयास से यह स्पष्ट होता है कि न्याय प्रक्रिया में धैर्य और सख्ती दोनों की आवश्यकता होती है।

