
भाजपा में मुसलमानों की बढ़ती सदस्यता: राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का संकेत
नई दिल्ली (रत्नेश शर्मा)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में मुसलमानों की संख्या में हाल के वर्षों में भारी इजाफा देखने को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 में भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद देश के राजनीतिक परिदृश्य में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब, 2024 के लोकसभा चुनावों के करीब आते ही, भाजपा के सदस्यता अभियान में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है, खासकर मुस्लिम समुदाय के बीच। हाल ही में जारी किए गए आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि भाजपा के सदस्यता अभियान के तहत मुसलमानों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
2014 से 2024: मुसलमानों की संख्या में 90% की बढ़ोतरी
2014 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार केंद्र में सरकार बनाई, तब तक पार्टी में मुसलमानों की संख्या लगभग 1.25 लाख थी। हालांकि, अब 2023 तक आते-आते यह संख्या 2.35 लाख हो गई है, जो पिछले अभियान की तुलना में लगभग 90% की बढ़ोतरी है। इस तेजी से बढ़ती सदस्यता को पार्टी के सदस्यता अभियान के पहले चरण के दौरान देखा गया, और भाजपा नेताओं का कहना है कि इस संख्या में अभी और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह उछाल भाजपा की राजनीतिक रणनीति में बड़े बदलाव को दर्शाता है। आमतौर पर भाजपा को हिंदुत्व की राजनीति से जोड़कर देखा जाता है, जिसका मुख्य आधार हिंदू वोटर रहा है। लेकिन अब मुस्लिम समुदाय का इस पार्टी में बड़ी संख्या में शामिल होना भाजपा की व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा नामांकन
सदस्यता अभियान के दौरान यह भी देखा गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जो राजनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, से सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग भाजपा में शामिल हुए हैं। इस क्षेत्र से कम से कम 81,677 मुसलमानों ने भाजपा की सदस्यता ली है।
यह क्षेत्र हमेशा से मुस्लिम वोटरों का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है, और परंपरागत रूप से ये मतदाता समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों के समर्थक रहे हैं। इस प्रकार भाजपा की ओर मुसलमानों का इस प्रकार का झुकाव एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत माना जा सकता है। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस बदलते राजनीतिक समीकरण का असर आगामी चुनावों में देखने को मिलेगा।
उत्तर प्रदेश भाजपा के मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली का कहना है कि आने वाले दिनों में भाजपा की मुस्लिम सदस्यता 2.5 लाख के आंकड़े को पार कर जाएगी। उन्होंने कहा कि यह अभियान अभी अपने शुरुआती चरण में है और पार्टी अब मुस्लिम घरों तक पहुँचकर इस सदस्यता अभियान को और तेज़ करने की योजना बना रही है। भाजपा का यह सदस्यता अभियान 15 अक्टूबर तक चलेगा, और इस दौरान मुसलमानों के बीच भाजपा का प्रभाव और भी बढ़ सकता है।
क्षेत्रीय स्तर पर सदस्यता का वितरण
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम सदस्यता के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि भाजपा का यह अभियान राज्य भर में व्यापक स्तर पर चल रहा है। सबसे ज्यादा सदस्य ब्रज क्षेत्र से हैं, जहां 37,857 मुस्लिम सदस्य बने हैं। इसके बाद अवध (31,631), काशी (31,461) और कानपुर (28,634) क्षेत्र का स्थान आता है। हालांकि, गोरखपुर क्षेत्र में सबसे कम 25,963 मुसलमानों ने भाजपा की सदस्यता ली है।
मदरसा और दरगाहों के जरिए मुस्लिम समुदाय से जुड़ाव
भाजपा ने 17 सितंबर से मुसलमानों के बीच अपने संपर्क अभियान को और भी तेज कर दिया है। इसके तहत पार्टी ने अपने अल्पसंख्यक मोर्चा को इस अभियान में शामिल किया है, जो मदरसों, दरगाहों और अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसके अलावा, पार्टी सूफी नेताओं से भी संपर्क कर रही है, ताकि मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पैठ बढ़ाई जा सके।
भाजपा ने जमात उलेमा ए हिंद (जेयूएच) और उलेमा फाउंडेशन (यूएफ) जैसी मुस्लिम संगठनों की मदद ली है, जो इस प्रक्रिया में भगवा संगठन का समर्थन कर रहे हैं। यह रणनीति भाजपा के लिए एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी का समर्थन आधार ऐतिहासिक रूप से मुसलमानों से दूर रहा है।
धार्मिक और सामुदायिक नेताओं की भागीदारी से भाजपा ने मुसलमानों के बीच अपनी अपील को और भी व्यापक किया है, खासकर ऐसे समय में जब 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। यह कदम भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आगामी चुनावों में मुसलमान एक महत्वपूर्ण वोटर ब्लॉक माने जाते हैं।
समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया
इस घटनाक्रम पर समाजवादी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्दुल हाफिज गांधी ने भाजपा के इस अभियान को “डेटा प्ले” कहकर खारिज किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को पहले मुसलमानों के कल्याण के लिए अपनी योजनाओं के बारे में बताना चाहिए। गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के तहत मुसलमानों को अत्याचार का सामना करना पड़ा है और उन्हें “बुलडोजर राजनीति” का सबसे बड़ा शिकार माना गया है।
सपा ने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार मुसलमानों के लिए किसी प्रकार की ठोस योजना बनाने में विफल रही है और उनका यह सदस्यता अभियान केवल एक चुनावी चाल है।
भाजपा का जवाब
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का कहना है कि मुसलमान सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया है और मुस्लिम समुदाय भी इन योजनाओं का भरपूर फायदा उठा रहा है।
पार्टी का दावा है कि उज्ज्वला योजना, पीएम आवास योजना और अन्य योजनाओं के तहत लाखों मुसलमानों को लाभ हुआ है। भाजपा का मानना है कि यह कल्याणकारी योजनाएँ ही मुस्लिम समुदाय को पार्टी के करीब ला रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा का यह कदम विपक्षी पार्टियों के खिलाफ एक रणनीतिक चाल हो सकता है। भाजपा मुसलमानों के बीच अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है और इसके माध्यम से विपक्ष की आक्रामक राजनीति को कमज़ोर कर रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने अपनी समावेशी राजनीतिक रणनीति के तहत मुसलमानों को अपने पाले में लाने की कोशिश की है। भाजपा का यह कदम इस धारणा को बदलने की कोशिश कर रहा है कि पार्टी मुसलमानों को “बहिष्कृत” करती है।
भविष्य की राजनीति पर असर
भाजपा में मुसलमानों की बढ़ती सदस्यता और पार्टी की बदलती रणनीति आने वाले चुनावों में निश्चित रूप से असर डालेगी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या भाजपा वास्तव में मुस्लिम वोटरों के एक बड़े हिस्से को अपने पक्ष में करने में सफल होती है या नहीं।
वर्तमान राजनीतिक स्थिति में, भाजपा का यह कदम विपक्षी दलों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है। यदि भाजपा मुस्लिम वोटरों का एक बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में कर पाती है, तो इससे उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में भाजपा की स्थिति और भी मजबूत हो सकती है।