
(सात्यिक मिश्रा) बहराइच 06 अक्टूबर। बहराइच के महसी तहसील के तमाचपुर गांव में तीन महीने से आतंक मचा रहे भेड़ियों के झुंड का छठा और आखिरी सदस्य ग्रामीणों के हाथों मारा गया। यह भेड़िया गांव में बकरी का शिकार करने के लिए घुसा था, जिसके बाद ग्रामीणों ने उसे पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना से पूरे क्षेत्र में राहत की लहर दौड़ गई है, क्योंकि यह भेड़िया पिछले कुछ महीनों में एक महिला समेत लगभग 10 लोगों का शिकार कर चुका था।
तीन महीने से गांवों में भेड़ियों के एक झुंड ने आतंक मचा रखा था। कुल 6 भेड़ियों के इस झुंड ने बहराइच जिले के ग्रामीण इलाकों में हड़कंप मचा दिया था। ये भेड़िये अब तक एक महिला समेत 10 लोगों को अपना शिकार बना चुके थे, जिसमें ज्यादातर बच्चे शामिल थे। इस वजह से ग्रामीणों में भय और दहशत का माहौल था, और लोग अपने बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरते थे।
भेड़ियों के इस झुंड को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीमें लगातार प्रयास कर रही थीं। विभाग ने पहले ही पांच भेड़ियों को पकड़ लिया था, लेकिन छठा भेड़िया बच निकला था और लगातार ग्रामीणों पर हमला कर रहा था। इस भेड़िये को पकड़ने के लिए वन विभाग की कई टीमें महसी और उसके आसपास के इलाकों में दिन-रात सर्च ऑपरेशन चला रही थीं, लेकिन वह किसी न किसी तरह से हर बार बच निकलता था।
तमाचपुर गांव में यह भेड़िया बकरी का शिकार करने के लिए घुसा था। जैसे ही ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिली, उन्होंने लाठी-डंडों से उसे घेर लिया और पीट-पीटकर उसकी जान ले ली। इस घटना से पहले गांव में भेड़िये की दहशत इतनी थी कि लोग रात के समय घर से बाहर निकलने से भी डरते थे। हालांकि, अब इस भेड़िये के मारे जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और भेड़िये के शव को कब्जे में लिया। विभाग ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को इस बात की सराहना की कि उन्होंने बड़ी हिम्मत दिखाई, लेकिन साथ ही उन्होंने ग्रामीणों से अपील भी की कि इस तरह के खतरनाक जानवरों से बचाव के लिए विभाग को पहले सूचित करें और खुद से कोई कार्रवाई न करें।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के हिंसक हमले अक्सर तब होते हैं जब जंगली जानवर अपने प्राकृतिक आवास से दूर आबादी वाले क्षेत्रों में आ जाते हैं। इसका मुख्य कारण जंगलों की कटाई, शिकार, और भोजन की कमी है, जिसकी वजह से जानवर मजबूरी में इंसानी बस्तियों की ओर रुख करते हैं। भेड़ियों का यह झुंड भी इसी कारण से गांवों में घुस आया था और बार-बार हमले कर रहा था।
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि भेड़िये आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करते, लेकिन जब वे भूखे होते हैं या खुद को खतरे में पाते हैं, तो वे हिंसक हो सकते हैं। इस घटना से यह साफ है कि वन्यजीवों के संरक्षण के साथ-साथ इंसानों की सुरक्षा के लिए भी वन क्षेत्रों की सीमाओं को स्पष्ट और संरक्षित करना बेहद जरूरी है।
इस बार की घटना ने एक बार फिर से जंगली जानवरों और इंसानों के बीच टकराव की समस्या को उजागर किया है। वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, जंगलों के किनारे बसे गांवों में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए कि अगर कोई जंगली जानवर उनके गांव में आ जाए तो वे तुरंत वन विभाग को सूचित करें और खुद से कोई भी हिंसक कदम न उठाएं।
इसके अलावा, वन क्षेत्रों के पास के इलाकों में वन्यजीवों के लिए पर्याप्त भोजन और पानी की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि वे इंसानी बस्तियों की ओर न आएं। इसके साथ ही, वन्यजीवों के आवास क्षेत्रों की सीमाओं को और मजबूत करने के लिए बाड़े लगाए जा सकते हैं, ताकि जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में न घुस पाएं।
तमाचपुर गांव और उसके आसपास के ग्रामीण अब इस भेड़िये के मारे जाने के बाद राहत महसूस कर रहे हैं। पिछले तीन महीनों से ग्रामीण इस भेड़िये के आतंक के साये में जी रहे थे। कई गांवों के लोग डर की वजह से रात में खेतों में काम करने नहीं जा पा रहे थे और बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर रहे थे। अब जब यह भेड़िया मारा जा चुका है, तो ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है और इलाके में एक बार फिर सामान्य जीवन लौटने की उम्मीद है।
बहराइच के महसी तहसील में तीन महीने से आतंक मचाने वाले भेड़िये का अंत हो गया है। इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष तब तक चलता रहेगा, जब तक दोनों के आवास क्षेत्रों की सीमाओं का सम्मान नहीं किया जाएगा। वन विभाग और ग्रामीणों की सतर्कता और हिम्मत ने इस आतंक का खात्मा कर दिया, लेकिन भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए वन्यजीव संरक्षण और ग्रामीण सुरक्षा के लिए और भी ठोस कदम उठाने होंगे।