
लखनऊ 3 अक्टूबर। नवरात्रि का पावन त्यौहार आज से शुरू हो गया है, और देश भर में देवी दुर्गा के भक्त देवी मंदिरों में उपासना और पूजा कर रहे हैं। आज से नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान श्रद्धालु उपवास रखते हैं, विशेष भोज का आयोजन करते हैं, और देवी की आराधना करते हैं। इस पर्व में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो हर दिन एक अलग स्वरूप में प्रकट होती हैं: माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी, और माँ सिद्धिदात्री।
यह त्यौहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी इसकी विशेष भूमिका है। नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य शक्ति की देवी माँ दुर्गा की उपासना करना है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती हैं। हर दिन देवी दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा होती है, और इस क्रम में भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान और पूजा-पाठ करते हैं।
नवरात्रि साल में चार बार मनाई जाती है, जिनमें से दो मुख्य नवरात्रियाँ होती हैं: चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि मार्च-अप्रैल के महीने में आती है, जबकि शारदीय नवरात्रि सितंबर या अक्टूबर में आती है। इसके अलावा, दो गुप्त नवरात्रियाँ भी होती हैं, जो विशेष रूप से तांत्रिक साधना करने वालों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
इस पर्व का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। नवरात्रि के दौरान लोग उपवास रखते हैं, जो शुद्धिकरण और आत्म-संयम का प्रतीक होता है। साथ ही, इन दिनों में गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्यों का आयोजन भी होता है, जो त्यौहार को और भी उल्लासमय बनाते हैं। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों का आह्वान किया जाता है, और विशेष रूप से उनकी शक्ति, करुणा और प्रेम की आराधना की जाती है।
माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों का संक्षिप्त विवरण:
1. माँ शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और देवी पार्वती का रूप मानी जाती हैं।
2. माँ ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो तपस्या की देवी मानी जाती हैं और उनके रूप से भक्तों को संयम और ध्यान का महत्व समझ में आता है।
3. माँ चंद्रघंटा: तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है, जो आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति का प्रतीक हैं।
4. माँ कुष्मांडा: चौथे दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है, जो सृष्टि की उत्पत्ति की देवी मानी जाती हैं।
5. माँ स्कंदमाता: पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय की माता मानी जाती हैं।
6. माँ कात्यायनी: छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं।
7. माँ कालरात्रि: सातवें दिन माँ कालरात्रि की आराधना की जाती है, जो बुरी शक्तियों का नाश करने वाली देवी हैं।
8. माँ महागौरी: आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा होती है, जो पवित्रता और शांति की देवी हैं।
9. माँ सिद्धिदात्री: नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सभी प्रकार की सिद्धियों की देवी मानी जाती हैं।
नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर भक्त देवी दुर्गा की आराधना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान और पूजाएँ की जाती हैं, साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। नवरात्रि का यह पर्व हर साल न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष होता है।