
साइबर अपराधों को रोकने में विफल रही एजेंसियां, दर्ज शिकायतों में 11 प्रतिशत की वृद्धि
नई दिल्ली, 27 सितंबर। अपनी आम जरूरत को काटकर बैंकों में अपनी बचत जमा करने वाले आम लोग जो अब बड़े पैमाने पर साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं, इस साल अगर हम दर्ज शिकायतों की ही बात करें तो अब तक 6 महीने में ही केवल 61000 से ज्यादा साइबर शिकायतें दर्ज की गई हैं जो पिछले साल दर्ज की गई साइबर शिकायतों की तुलना में 11 प्रतिशत ज्यादा है। नेशनल साइबर क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल ने जनवरी से जून के बीच 2023 में 55267 शिकायतें दर्ज की लेकिन इस साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 61525 तक पहुंच गया है। इस साल नेशनल साइबर क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल द्वारा दर्ज किए गए साइबर अपराध में कई तरह की विविधताएं देखने को मिल रही है जो एजेंसियों को परेशान करने वाली है साइबरबुलिंग, स्टॉकिंग, सेक्सटिंग (2,926 शिकायतें), नकली प्रतिरूपण प्रोफ़ाइल (1,799), प्रोफ़ाइल हैकिंग (2,065), ई-वॉलेट धोखाधड़ी (938), प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी (828), अनधिकृत डेटा उल्लंघन (680) और ऑनलाइन नौकरी धोखाधड़ी (324) शामिल हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बात करते हुए बताया कि यह जो साइबर क्राइम करने वाले लोग हैं यह कमजोर लोगों के डर और इच्छाओं का फायदा उठाते हैं अभी हाल में दर्ज की गई घटनाओं में ऐसी डिजिटल गिरफ्तारियों के मामले सामने आए हैं जहां अपराधियों ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में लोगों से कानूनी परिणाम भुगतने की धमकी दी है और उससे जुड़े कूरियर से अवैध पदार्थ जप्त किए जाने का झूठा बहाना बनाकर पैसे देने के लिए मजबूर किया है इन मामलों में साइबर अपराधी डर और भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं जो व्यक्ति को सोचने में असमर्थ बना देता है और उन्हें अपराधियों की मांगों का पालन करने के लिए मजबूर कर देता है।
इसी तरह साइबर अपराधी लोगों को यह विश्वास दिलाने के लिए भ्रामक रणनीति अपनाते हैं कि वह धोखाधड़ी वाली निवेश योजना के माध्यम से आपकी संपत्ति में काफी वृद्धि कर सकते हैं पीड़ितों को अक्सर अधिक रिटर्न के वादों से लुभाया जाता है जिससे वह फर्जी ट्रेडिंग एप्लीकेशन में निवेश कर देते हैं। विश्वास हासिल करने के लिए साइबर अपराधी शुरू में छोटे-छोटे लाभ प्रदान कर सकते हैं जिससे प्रेरित होकर व्यक्ति बड़ा निवेश करता है और अंत में वह बड़ी रकम लेकर गायब हो जाते हैं।
इन साइबर अपराधियों के शिकार होने से खुद को बचाने का सबसे प्रभावशील तरीका उनके काम करने के तरीके को अच्छी तरह समझना है, ऐसी घटनाओं को रोकने में जागरूकता अहम भूमिका निभाती है साइबर अपराध की तकनीक के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करके व्यक्ति खुद को वित्तीय नुकसान से बचा सकता है। लोगों को फंड ट्रांसफर करने और दूसरों के साथ ओटीपी साझा करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।
साइबर अपराध के हॉटस्पॉट के बारे में पुलिस अधिकारियों का दावा है कि उनके ठिकानों में अभी भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ है यह जालसाज देश भर के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे हैं लेकिन प्राथमिक हॉटस्पॉट पहले जैसे ही हैं। उनकी गतिविधियों का एक बड़ा हिस्सा नूंह (हरियाणा) जामताड़ा और सिंहभूमि (झारखंड) से आता है। साइबर जालसाजी बहुस्तरीय संचार और तकनीकी रणनीतियों का उपयोग करते हैं जिससे इन साइबर अपराधियों की पहचान करना और उन्हें पकड़ना कठिन हो जाता है वह अपनी पहचान और ठिकानों को छुपाने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का उपयोग करते हैं। इनके पास उनके निर्देशन में काम करने वाले व्यक्तियों का एक बड़ा नेटवर्क होता है जिनमें से प्रत्येक की अपनी अलग-अलग भूमिकाएं होती हैं कुछ बैंक खाता उपलब्ध कराते हैं कुछ फंड को क्रिप्टो करेंसी में बदलने की सुविधा प्रदान करते हैं जबकि और लोग अवैध आय को निकालने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इन सभी के मुखिया की गुमनामी सुनिश्चित करने के लिए यह सभी व्यक्ति स्वतंत्र रूप से काम करते हैं जिससे मुखिया के पकड़े जाने की चुनौती कम हो जाती है साइबर अपराध की पीड़ित या तो 1930 साइबर हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सकते हैं या मामले की रिपोर्ट राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल पर कर सकते हैं वह नजदीकी साइबर पुलिस स्टेशन भी जा सकते हैं
प्रभात भारत कथन
अधिक से अधिक लोग मोबाइल फोन और कंप्यूटर का उपयोग कर रहे हैं यह तो तय है कि साइबर अपराध बढ़ेगा समय की मांग है कि अधिक से अधिक सावधानी बरती जाए खासकर रूपयों के लेनदेन से जुड़े मामले में इससे पहले भी यह हम लोग बता चुके हैं और फिर से यह बताना जरूरी है कि अपने पासवर्ड आसान न बनाएं और ओटीपी नंबर कभी भी किसी के भी साथ साझा ना करें