
लखनऊ। भारत में कई योजनाएं आई कई धरातल पर लागू हुई जिनका लाभ यहां के लोगों को मिला, पिछली कुछ सरकारों ने वह कांग्रेस सरकार और भारतीय जनता पार्टी की भी सरकार हो सकती है की कुछ योजनाओं ने आम आदमी को उधार के दलदल में धकेलना का काम किया है आज हर 10 परिवार में सात परिवार उधार की चमक धमक में जी रहा है पहले लोग लोन लेने से डरते थे जिसका नाम लोन लेने में आ जाता था उसकी सामाजिक छवि बेकार मानी जाती थी अब तो स्थितियां तो ऐसी हो गई है कि लोग अब स्टेटस सिंबल के लिए फोन भी किस्त पर खरीदने लगे हैं पहले लोग लोन लेते भी थे तो घर बनाने के लिए लोन लिया करते थे कार लेने के लिए लोन लेते थे बच्चों को पढ़ने के लिए लोन लेते थे अगर किसान के खेत में पैदावार अच्छी नहीं हुई तो अगली फसल की खेती करने के लिए लोन लेता था लेकिन अब लोग मोबाइल फोन लेने के लिए लोन ले रहे हैं बाहर घूमने जाने के लिए लोन ले रहे हैं और नाम दे रहे हैं ई एम आई का आखिर अचानक से भारत में लोन इतना आसान कैसे हो गया जहां सरकारी बैंक कई तरह की जांच करने के बाद लोन देते थे आज प्राइवेट कंपनियां उच्चतम ब्याज दर पर केवल आधार कार्ड से ई केवाईसी करके लोगों को कैसे लोन दे रही है और लोग क्यों लोन ले रहे हैं?
आज सरकार कहती है कि लोगों का लिविंग ऑफ स्टैंडर्ड बढ़ गया है लोग पिछले 10 सालों की अपेक्षा अब ज्यादा अच्छी तरह से रहने लगे हैं लोगों के पास शहरों में अपने घर हैं लोग अब डेढ़ डेढ़ लाख और दो-दो लाख रुपए की मोबाइल चल रहे हैं महंगी महंगी गाड़ियों से चल रहे हैं लेकिन हर महीने की 28 और 5 तारीख के नजदीक आते-आते इनकी स्थिति खराब हो जाती है और ऐसे में अगर कहीं इनकी नौकरी या जो आय का साधन है उसमें कोई व्यवधान आया तो जान तक चली जाती है क्योंकि यह जो प्राइवेट कंपनियों के रिकवरी एजेंट होते हैं वह तरह-तरह लोन लिए हुए व्यक्ति को प्रताड़ित करते हैं कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें प्राइवेट कंपनियों ने जिन्होंने व्यक्ति को लोन दिया है उसकी निजी जानकारी को पब्लिक करने की धमकी दी जाती है जो कंपनी ने फोन में सॉफ्टवेयर डालने के नाम पर उसके फोन से चुराए होते हैं आदमी लगातार डिप्रेशन में जाता है और इस डिप्रेशन का नतीजा होता है कि वह एक दिन अपने जीवन को समाप्त कर लेता है कई ऐसे मामले हैं जहां पर ऐसे कर्ज ने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया
अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि-
इन प्राइवेट कंपनियों को अचानक से लोन बांटने का लाइसेंस कहां से मिला?
क्यों सरकार ने छोटी-छोटी जरूरत को पूरा करने के लिए लोन को आसान बना दिया?
जब लोन नहीं होता था तब छोटी-छोटी ज़रूरतें ना पूरी होने पर आदमी काम करता था क्या यह कोई साजिश तो नहीं भारत के मिडिल क्लास को कर्ज के तले दबाने की?
सरकार ने लोन को क्यों आसान बना दिया?
प्राइवेट कंपनियों के लोन इतनी आसानी से केवल 5 मिनट में बिना किसी पेपर वर्क के कैसे मिल जाते हैं?