
नई दिल्ली 16 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्ते, और पेंशन के पुनरीक्षण का कार्य करेगा।
क्यों है यह फैसला अहम?
वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और मुआवजे के ढांचे को तय करने वाला मुख्य निकाय है। 8वें वेतन आयोग के गठन से कर्मचारियों को वेतन वृद्धि और अन्य लाभ मिलने की उम्मीद है। वर्तमान 7वें वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू है और इसकी वैधता 2026 तक है। इसके बाद, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होंगी।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया समय पर शुरू कर दी है, ताकि इसकी सिफारिशें समय पर मिल सकें और 1 जनवरी, 2026 से लागू की जा सकें।
कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदें
इस निर्णय से एक करोड़ से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे। वे बेसब्री से 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं, जो उनके मूल वेतन, भत्तों, पेंशन और अतिरिक्त लाभों की समीक्षा करेगा।
7वें वेतन आयोग के बाद वेतन और पेंशन में हुए बदलावों ने केंद्रीय कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मियों को बड़ी राहत दी थी। 8वें वेतन आयोग से भी यही अपेक्षा की जा रही है कि यह महंगाई और आर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए वेतन और भत्तों में संशोधन करेगा।
वेतन आयोग का महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वेतन आयोग का गठन केंद्र सरकार द्वारा हर दशक में किया जाता है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के मुआवजे को समयानुसार अपडेट करना है। इसमें आर्थिक संकेतक, जैसे मुद्रास्फीति, देश की आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की जरूरतों का ध्यान रखा जाता है।
7वें वेतन आयोग का गठन 28 फरवरी, 2014 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने किया था। आयोग ने अपनी सिफारिशें नवंबर 2015 में प्रस्तुत कीं, जो 1 जनवरी 2016 से लागू हुईं।
7वें वेतन आयोग की उपलब्धियां
7वें वेतन आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में बड़े सुधार किए। इसके तहत मूल वेतन में वृद्धि न्यूनतम वेतन को ₹7,000 से बढ़ाकर ₹18,000 प्रति माह किया गया। भत्तों में संशोधन महंगाई भत्ता (डीए) और हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) जैसे भत्तों में संशोधन किया गया। पेंशन में वृद्धि पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत (डीआर) में वृद्धि की गई समावेशी लाभ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों दोनों के लिए समान मुआवजा सुनिश्चित किया गया।
8वें वेतन आयोग से उम्मीदें
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों से कर्मचारियों को निम्नलिखित क्षेत्रों में राहत मिलने की उम्मीद है:
1. मूल वेतन में वृद्धि: मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन में बड़ा सुधार हो सकता है।
2. महंगाई भत्ते का संशोधन: डीए और डीआर को नई दरों पर तय किया जाएगा।
3. भत्तों का पुनर्गठन: हाउस रेंट अलाउंस और ट्रांसपोर्ट अलाउंस जैसे भत्तों में बदलाव की संभावना है।
4. पेंशन सुधार: पेंशनभोगियों के लिए नई दरों पर राहत दी जा सकती है।
5. आधुनिक जरूरतें: डिजिटलाइजेशन और नई तकनीक को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों को अतिरिक्त सुविधाएं मिल सकती हैं।
कैसे होगी सिफारिशों की तैयारी?
वेतन आयोग विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और कर्मचारी संगठनों से जानकारी जुटाकर सिफारिशें तैयार करेगा। इन सिफारिशों में देश की आर्थिक स्थिति, राजस्व संग्रह और सरकारी खर्च का संतुलन भी शामिल होगा।
आर्थिक चुनौतियां और सरकार का नजरिया
वेतन आयोग की सिफारिशों का लागू होना सरकार के लिए आर्थिक चुनौती हो सकता है। हालांकि, सरकार ने पहले ही संकेत दिए हैं कि वह इन सिफारिशों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
8वें वेतन आयोग का गठन केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ा कदम है। इससे न केवल वेतन और पेंशन में वृद्धि की उम्मीद है, बल्कि यह कर्मचारियों के जीवन स्तर को भी सुधारने में मदद करेगा।
आयोग की सिफारिशें तैयार होने और 2026 से लागू होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कैसे केंद्रीय कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाता है।
सरकार के इस फैसले ने लाखों कर्मचारियों के बीच नई ऊर्जा भर दी है। आने वाले समय में, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें भारतीय प्रशासनिक तंत्र और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।