
सिवान और सारण में त्रासदी, 12 गिरफ्तार, राजनीतिक विवाद तेज
पटना 17 अक्टूबर। बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब ने कहर बरपाया है। सिवान और सारण के पड़ोसी जिलों में जहरीली शराब पीने से कम से कम 25 लोगों की जान चली गई है। यह घटना राज्य में शराबबंदी लागू होने के बावजूद हुई है, जिससे एक बार फिर से राज्य की शराबबंदी नीति और उसके कार्यान्वयन पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस ताजा घटना से बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है, जिसमें विपक्ष ने नीतीश कुमार सरकार की शराबबंदी की विफलता को लेकर तीखे सवाल खड़े किए हैं।
घटना का विवरण
घटना मंगलवार रात की है, जब सिवान के मगहर और औरैया पंचायतों तथा सारण के मशरख में कुछ लोगों ने जहरीली शराब का सेवन किया। सिवान में 20 और सारण में 5 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। पुलिस महानिदेशक आलोक राज ने बताया कि अब तक इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जो कथित तौर पर जहरीली शराब के व्यापार में शामिल थे। डीजीपी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन पर सबसे कड़े कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। आलोक राज ने यह भी बताया कि दो विशेष जांच दल (SIT) गठित किए गए हैं। इनमें से एक स्थानीय स्तर पर जांच करेगा, जबकि पटना में मद्य निषेध विभाग द्वारा गठित एक अन्य एसआईटी हाल के दिनों में हुई इस तरह की घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेगी।
आरोपित माफिया पर कार्रवाई की तैयारी
डीजीपी ने जानकारी दी कि इस घटना में एक शराब माफिया का नाम सामने आया है, जो पहले भी इस तरह के मामलों में शामिल रहा है और फिलहाल जमानत पर बाहर है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सभी कोणों से जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
राजनीतिक विवाद
इस घटना के बाद बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है। विपक्ष ने नीतीश कुमार सरकार की शराबबंदी नीति की कड़ी आलोचना की है। विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं कि अगर राज्य में शराबबंदी लागू है, तो फिर जहरीली शराब की बिक्री कैसे हो रही है? विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, “बिहार में जहरीली शराब से मौतें आम हो गई हैं, लेकिन कभी किसी उच्च पदस्थ अधिकारी को इसकी सजा नहीं मिली। अगर शराबबंदी के बावजूद नकली शराब मिल रही है, तो यह मुख्यमंत्री की विफलता है, जिन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में गृह मंत्रालय अपने पास रखा है। तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्ष ने यह मुद्दा विधानमंडल के आगामी सत्र में उठाने की भी तैयारी कर ली है।
नीतीश कुमार की अपील और उच्च स्तरीय बैठक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना के बाद एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने संबंधित अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों को घटनास्थल का दौरा करने का भी निर्देश दिया ताकि इस त्रासदी के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके। मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि वे “ऐसे तत्वों से सावधान रहें, जो शराब के सेवन को बढ़ावा देकर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और परिवारों में शांति भंग कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने कहा, शराबबंदी का उद्देश्य समाज को स्वस्थ और समृद्ध बनाना है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। सरकार इस तरह के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेगी, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बिहार में शराबबंदी और जहरीली शराब से मौतों का इतिहास
बिहार में अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी। इसका उद्देश्य राज्य में शराब से होने वाले अपराधों और सामाजिक बुराइयों को कम करना था। लेकिन, इस कानून के लागू होने के बाद भी राज्य में जहरीली शराब से होने वाली मौतों की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं।
शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार में अब तक कई बार जहरीली शराब पीने से बड़े पैमाने पर मौतें हो चुकी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, शराबबंदी के बाद से 150 से अधिक लोगों की जहरीली शराब के कारण जान गई है। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह संख्या इससे भी अधिक हो सकती है।
2022 में सारण की त्रासदी: बिहार में 2022 में सारण के मशरख में सबसे भयानक त्रासदी हुई थी, जिसमें राज्य सरकार के मुताबिक लगभग 40 लोग जहरीली शराब पीने से मारे गए थे। हालांकि, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की जांच में यह संख्या 70 से अधिक बताई गई थी। इस घटना ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भारी हंगामा खड़ा किया था, जिसके बाद सरकार ने शराबबंदी के नियमों को और कड़ा करने का वादा किया था।
2021 की गोपालगंज त्रासदी: 2021 में गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद राज्य में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब के कारोबार को लेकर गंभीर सवाल उठे थे। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन अवैध शराब माफिया पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकी।
2019 की छपरा घटना: 2019 में छपरा में जहरीली शराब पीने से 18 लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद नीतीश कुमार सरकार पर शराबबंदी को सही ढंग से लागू न कर पाने के आरोप लगे थे। विपक्ष ने इस घटना को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की थी और शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग की थी।
2018 की मोतिहारी त्रासदी: 2018 में मोतिहारी में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने शराबबंदी को और सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया था और कई जगहों पर छापेमारी अभियान चलाया गया था।
शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग
इस ताजा घटना के बाद बिहार में शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग एक बार फिर से उठने लगी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, “सरकार को अपनी शराबबंदी नीति की समीक्षा करनी चाहिए। यह नीति नकली शराब की बिक्री को रोकने में पूरी तरह विफल रही है। इसके कठोर प्रावधानों के कारण पीड़ितों के परिवारों को सरकार से मिलने वाले मुआवजे से भी वंचित रखा जाता है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सात सदस्यीय तथ्यान्वेषी दल का गठन किया है, जो प्रभावित इलाकों का दौरा करेगा और कांग्रेस नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
सीवान की दरौली सीट से सीपीआई (एमएल) विधायक सत्यदेव राम ने भी घटना की जांच में प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “प्रशासन पूरी बात को दबाने की कोशिश कर रहा है। कम से कम 60 गांवों के निवासियों ने शराब पी है। यह इतने बड़े पैमाने पर नहीं हो सकता था, जब तक कि अवैध व्यापार में शामिल लोगों को स्थानीय प्रशासन का संरक्षण न मिल रहा हो।
सरकार का पक्ष
राज्य के मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि सरकार इस घटना के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि शराब माफिया पर लगाम लगाने के लिए सरकार सख्त कानून, जैसे अपराध नियंत्रण अधिनियम (CCA) लाने पर विचार कर रही है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या यह घटना मद्य निषेध कानून की विफलता है, तो उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, “इस तरह के बेवकूफी भरे सवाल मत करो। अगर मेरे घर के अंदर कुछ गलत हुआ तो क्या संबंधित थाने को पहले से पता चल जाएगा?”
समाज पर प्रभाव और चुनौतियां
बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौतें एक गंभीर सामाजिक समस्या बन गई हैं। शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब का व्यापार राज्य के कई हिस्सों में फल-फूल रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें प्रशासनिक लापरवाही, माफिया का वर्चस्व, और शराब की अवैध मांग शामिल है। शराबबंदी कानून का उद्देश्य राज्य में शराब से होने वाली मौतों को रोकना और समाज में शांति बहाल करना था। लेकिन कानून के कठोर प्रावधानों के बावजूद अवैध शराब का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा। इसका सबसे बड़ा नुकसान राज्य के गरीब और हाशिये पर खड़े लोगों को हो रहा है, जो सस्ती और नकली शराब के चक्कर में अपनी जान गंवा रहे हैं।